Gundu Raos Remarks On Jinnah: कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने जिन्ना और सावरकर के बीच गहरे विरोधाभासों को उजागर करते हुए जिन्ना को गैर-कट्टरपंथी बताया, जबकि सावरकर को कट्टरपंथी करार दिया और उनकी विचारधारा की आलोचना की. वहीं कर्नाटक भाजपा ने दशहरा उत्सव के दौरान ऐतिहासिक हस्तियों की पट्टिकाओं को हटाने को लेकर सरकार की कड़ी आलोचना की है.
दरअसल, बुधवार को नाथूराम गोडसे पर एक किताब के विमोचन के मौके पर उन्होंने वीडी सावरकर को लेकर कहा था कि वह गोमांस खाते थे और गोहत्या के खिलाफ नहीं थे,उसी कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने कहा कि पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना एक अलग ही चरमपंथी थे. “जिन्ना सावरकर की तरह कट्टरपंथी नहीं थे”
‘जिन्ना खाते थे सूअर का मांस और पीते थे शराब’
दिनेश गुंडू राव ने कहा कि वह शराब पीते थे और कहा जाता है कि वह सूअर का मांस भी खाते थे, लेकिन दो-राष्ट्र सिद्धांत और राजनीति के बाद वह मुस्लिम आइकन बन गए. हालांकि, जिन्ना कट्टरपंथी नहीं थे, जबकि सावरकर कट्टरपंथी थे. महात्मा गांधी और सावरकर के बीच अंतर बताते हुए राव ने यह भी कहा कि “भारत में कट्टरवाद का मुकाबला कैसे किया जाए, कट्टरवाद कैसे हिंसा की ओर ले जाता है और महात्मा गांधी के दर्शन का उपयोग करके इससे कैसे निपटा जा सकता है”
‘सावरकर भी थे मांसाहारी’
राव ने कहा कि सावरकर की कट्टरपंथी विचारधारा भारतीय संस्कृति से बहुत अलग थी, भले ही वे राष्ट्रवादी थे और देश में सावरकर के तर्क की नहीं बल्कि महात्मा गांधी के तर्क की जीत होनी चाहिए. राव ने कहा कि अगर हम चर्चा करके यह कह सकते हैं कि सावरकर जीतते हैं, तो यह सही नहीं है. सावरकर मांसाहारी थे और वे गोहत्या के खिलाफ नहीं थे. उन्होंने कहा कि गांधी शाकाहारी थे और हिंदू धर्म में उनकी दृढ़ आस्था थी, लेकिन उनके कार्य बिलकुल अलग थे. वे एक लोकतांत्रिक व्यक्ति थे.
गुरुवार को जिस संदर्भ में उन्होंने यह बयान दिया था उसे स्पष्ट करते हुए राव ने कहा कि यह पुस्तक के विमोचन के अवसर पर था,जहां गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे पर बहुत अच्छी चर्चा हुई थी.
पट्टिकाएं हटाने से भाजपा नाराज
इसी बीच कर्नाटक भाजपा ने मैसूर के दशहरा प्रदर्शनी मैदान से महान उपलब्धियों और ऐतिहासिक हस्तियों के नाम वाली पट्टिकाएं हटाने के लिए सरकार की कड़ी आलोचना की है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कहा कि कांग्रेस ने दशहरा उत्सव के पहले दिन ही अपनी ‘गजनी संस्कृति’ का प्रदर्शन किया. पट्टिकाओं को जल्द से जल्द उनके मूल स्थानों पर फिर से स्थापित किया जाना चाहिए और साथ ही राज्य सरकार को राज्य के लोगों से माफी मांगनी चाहिए.
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