Modi government: केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से सर्पदंश को सूचित करने योग्य बीमारी घोषित करने की अपील है. इसके अलावा सभी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए ऐसे मामलों और मौत की सूचना देना अनिवार्य कर दिया है.
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजे पत्र में कहा है कि सर्पदंश की घटनाएं सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय हैं और कुछ मामलों में ये मृत्यु, रुग्णता और विकलांगता का कारण बनती हैं.
केंद्र ने राज्यों से किया अनुरोध
केंद्र ने राज्यों से अनुरोध किया है कि वे सर्पदंश को राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य कानूनों या अन्य मान्य कानूनों के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत ‘सूचित करने योग्य रोग’ घोषित करें, ताकि सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य सुविधाओं (मेडिकल कॉलेजों सहित) के लिए सर्पदंश के हर संदिग्ध, संभावित मामले और उससे हुई मृत्यु की रिपोर्ट करना अनिवार्य हो जाए. पत्र में कहा गया है कि इस सिलसिले में अन्य लोगों के अलावा किसान और आदिवासी आबादी भी अधिक जोखिम में हैं.
केंद्र सरकार ने शुरू की योजना
सर्पदंश के मामलों से निपटने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक बड़ा कदम भी उठाया है. मंत्रालय ने भारत में 2030 तक सर्पदंश के जहर की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना भी लांच की है. इस योजना का उद्देश्य 2030 तक सर्पदंश से होने वाली मौतों की संख्या को आधा करना है.
भारत में होती हैं 50 हजार मौतें
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, हर साल पूरी दुनिया में सर्पदंश की 54 लाख घटनाएं होती हैं. इसमें अकेले एशिया में हर साल सांप के काटने और जहर देने के 20 लाख मामले सामने आते हैं. वहीं, बांग्लादेश, भारत, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका में दुनियाभर में सर्पदंश से होने वाली मौतों के 70 प्रतिशत मामले देखने को मिलते हैं. भारत में हर साल सर्पदंश से 50 हज़ार लोगों की मौत होती है.
(इनपुट भाषा के साथ)