Rajasthan Election 2023 Information: राजस्थान विधानसभा चुनाव में जाति फैक्टर हमेशा से हावी रहा है. यहां वैसे तो जाट और मीणा वोट बैंक सबसे अहम हैं, लेकिन दक्षिणी राजस्थान की कुछ विधानसभा सीटों पर आदिवासियों का दबदबा है. यही वजह है कि पिछले कुछ चुनाव से राजनीतिक दलों ने अब इन पर भी फोकस करना शुरू कर दिया है. इस बार के चुनाव में इस इलाके में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है.
यहां आदिवासी बहुल वागड़ में नवगठित भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) दक्षिणी राजस्थान की आदिवासी सीटों पर राजनीतिक स्थान पाने की होड़ में है, जबकि बीजेपी और कांग्रेस भी आदिवासी वोट बैंक को साधने में लगी हैं. बुधवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने डूंगरपुर में जनसभा के दौरान आदिवासी वोटरों को रिझाने की तमाम कोशिशें कीं. आइए जानते हैं कैसे दो आदिवासी पार्टियां कैसे बीजेपी और कांग्रेस की राह में रोड़ा पैदा कर रही हैं.
पहले चुनाव में ही मिल गईं 2 सीटें
वागड़ में बड़े पैमाने पर प्रतापगढ़, डूंगरपुर बांसवाड़ा और उदयपुर जिलों के कुछ हिस्से शामिल हैं. इस एरिया में विधानसभा की कुल 15 सीटें आती हैं. 2013 तक इन सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही टक्कर होती थी. हालांकि धीरे-धीरे यहां लोगों में असंतोष दिखाई देने लगा और आदिवासियों को लगा कि कोई भी दल ठीक से उनके हितों का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहा है.
इसके बाद आदिवासी परिवार नामक एक संगठन सामने आया और उसने राजनीतिक कदम उठाने का फैसला किया. गुजरात स्थित छोटूभाई वसावा की पार्टी भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) 2018 में आदिवासी परिवार के लिए राजनीतिक माध्यम बन गई और उसने चुनाव लड़ने का फैसला किया. इस एरिया में इस पार्टी को दो सीटें भी मिल गईं. हालांकि मतभेदों की वजह से भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) का गठन हुआ और दोनों विधायक राजकुमार रोत (चौरासी विधायक) और राम प्रसाद डिंडोर (सागवाड़ा) इसमें शामिल हो गए.
कांग्रेस और बीजेपी को दूसरे चुनावों में भी हराया
अब इस एरिया में बीजेपी और कांग्रेस से अलग बीएपी और बीटीपी भी रेस में हैं. डूंगरपुर के कई लोगों का मानना है कि बीएपी की आदिवासी वोटरों के बीच अच्छी पकड़ है. यह पार्टी सिर्फ आदिवासियों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर ही बात कर रही है. यहां इनका दबदबा कितना है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीएपी की छात्र पार्टी – भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा ने एनएसयूआई और एबीवीपी को हराते हुए 21 कॉलेज चुनावों में जीत हासिल की है.
इसलिए भी आसान नहीं भाजपा और कांग्रेस की राह
बीएपी नेताओं का कहना है कि चोरासी, सागवाड़ा, डूंगरपुर और आसपुर उनके लिए सबसे मजबूत सीटें हैं. इनके अलावा वह कुछ और सीटों को भी जीत सकती है. बीजेपी और कांग्रेस को इस एरिया में “बाहरी” कहा जा रहा है. रही सही कसर इनके बागी नेता निकाल रहे हैं जो निर्दलीय खड़े हैं और वोट काटने को तैयार हैं. इन सब फैक्टर को देखकर कांग्रेस और भाजपा की राह आसान नहीं लग रही है.
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