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Mahakumbh 2025 Shiva Priest tradition and attire symbolism bhajan worship and mythology sacrifice in the spiritual practice


Prayagraj Mahakumbh 2025: जूना अखाड़े में शिव पुरोहितों के परिधान और प्रतीक उनके विशेष महत्व को दर्शाते हैं. उनके परिधान में मां पार्वती और भगवान शंकर के आशीर्वाद का प्रतीकात्मक अर्थ छिपा है. शिव पुरोहित का पहनाव जिसमें नाग, मोर पंख और विशेष गहने शामिल हैं. ये उनके धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित करता है. पुरोहितों का कहना है कि ये पारंपरिक रूप से उन्हें दान में मिला हुआ होता है.

शिव पुरोहित को जंगम भी कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि ये भगवान शंकर के पुरोहित होते हैं. यह प्राचीन परंपरा भगवान शंकर की उत्पत्ति से जुड़ी है, जहां मां पार्वती के आग्रह पर शिव ने अपना दान लेने के लिए जंगम पुरोहित की उत्पत्ति की. ये पुरोहित भगवान शिव के अनुष्ठानों का संचालन करते हैं और उनकी महिमा का प्रचार-प्रसार करते हैं.

अखाड़ों में शिव पुरोहितों की भूमिका

जूना अखाड़े सहित अन्य अखाड़ों में शिव पुरोहितों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है. ये पुरोहित अखाड़ों के धार्मिक अनुष्ठानों का संचालन करते हैं और शिव भक्ति का प्रचार करते हैं. उनकी भजन और कथाओं के माध्यम से भगवान शिव और उनकी शक्ति का गुणगान किया जाता है.

शिव पुरोहित अमर कथा और शिव की पौराणिक कथाओं को सुनाने के लिए प्रसिद्ध हैं. उनकी कथाओं में भगवान शिव की 108 शादियों, मां पार्वती की कहानियां और शिव की अद्वितीय शक्तियों का वर्णन होता है. ये कथा न केवल भक्तों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है बल्कि शिव भक्ति के प्रति उनकी आस्था को और गहरा करती है.

शिव पुरोहितों का समाज में योगदान

समाज में शिव पुरोहितों का योगदान न केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित है बल्कि वे सन्यासियों और भक्तों के लिए मार्गदर्शक भी हैं. उनकी उपस्थिति और उनकी कथाएं धर्म और संस्कृति को जीवंत बनाए रखने में सहायक है.

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