Indian Army ATAGS Gun System: भारतीय सेना अपने आधुनिकीकरण के दौर से गुजर रही है. सेना की ताकत बढ़ाने के लिए उसे स्वदेशी हथियार मुहैया कराए जा रहे हैं. सरकार की केबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने बुधवार (19 मार्च) को भारतीय सेना के लिए ATAGS यानी एडवांसड टोड आर्टीलरी गन सिस्टम की खरीद को मंजूरी दी है. इससे सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट के लिए 300 से ज्यादा तोपें खरीदी जाएंगी, जोकि दुनिया की सबसे ज्यादा रेंज वाली होंगी.
पीएम मोदी की अगुवाई वाली सीसीएस ने ATAGS खरीद के लिए 7000 करोड़ रुपये के सौदे की मंजूरी दी है. यह गन पूरी तरह से स्वदेशी हैं. कुल 307 हावित्जर तोपों की खरीद स्वदेशी कंपनी से की जा रही है. इन तोपों की मारक क्षमता दुनिया में सबसे ज्यादा है. इसके अलावा सेना की 15 आर्टिलरी रेजिमेंटों को हथियार देने के लिए 327 गन-टोइंग व्हीकल्स की डील भी की जाएगी. टीओआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस डील पर अगले हफ्ते ही साइन होने की उम्मीद है.
ATAGS को DRDO ने किया है डेवलप
जो तोपें सेना को दी जाएंगी, उन ATAGS को देश में डिजाइन और डेवलेप किया गया है. डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने इसे डेवलेप किया है, जबकि इसका उत्पादन प्राइवेट कंपनी भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स करेंगे. भारत अब डिफेंस सेक्टर में प्राइवेट कंपनियों को आगे बढ़ रहा है, इसलिए इन 307 तोपों का उत्पादन दोनों प्राइवेट कंपनियों को सौंप दिया गया है. जहां भारत फोर्ज 60 फीसदी तोपों का उत्पादन करेगी, वहीं टाटा एडवांस्ड 40 फीसदी तोपें बनाएगी.
दुनिया की सबसे ताकतवर तोप है ATAGS
भारत निर्मित ATAGS दुनिया की सबसे ज्यादा रेंज वाली तोप है. ये तोप 48 किलोमीटर दूर तक दुश्मनों को मार सकती है. इससे 15 सेकंड में 3 राउंड गोले दागे जा सकते हैं. ये तोप 3 मिनट में 15 राउंड गोले और लगातार 60 मिनट में 60 राउंड गोले दाग सकती है. इसकी खासियत है कि इसका इस्तेमाल हर मौसम में किया जा सकता है. ATAGS को 2013 में डेवलेप किया गया था. रेगिस्तान से लेकर पहाड़ियों तक इसका परीक्षण किया जा चुका है, जिसके बाद इसे सेना में शामिल करने के लिए चुना गया है.
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने बनाया प्लान
रूस-यूक्रेन युद्ध ने एक बार फिर लंबी दूरी की मारक क्षमता वाले हथियारों की जरूरत महसूस हुई. इसीलिए सेना धीरे-धीरे हॉवित्जर, मिसाइल, रॉकेट सिस्टम जैसी युद्ध सामग्री को शामिल करने की दिशा में आगे बढ़ रही है. फरवरी में रक्षा मंत्रालय ने स्वदेशी पिनाका मल्टी-लॉन्च आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम के लिए प्री-फ्रैगमेंटेड विस्तारित रॉकेट (45 किमी रेंज) और एरिया डिनायल म्यूनिशन (37 किमी) के लिए 10,147 करोड़ रुपये के अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए थे. पिछले साल दिसंबर में रक्षा मंत्रालय ने साउथ कोरियाई हनव्हा डिफेंस के सहयोग से एलएंडटी के साथ 7,629 करोड़ का करार किया था, जिसके तहत 100 K-9 वज्र-टी ट्रैक्ड गन सिस्टम खरीदे जाने थे. वज्र-टी की मारक क्षमता 28 से 38 किलोमीटर तक है.

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