Delhi Court: दिल्ली की एक अदालत ने ऑस्ट्रेलिया के रेडफर्न में 2003 में हुई हत्या के मामले में गिरफ्तार मोहम्मद बशीरुद्दीन को गलत पहचान के आधार पर बरी कर दिया है. अदालत ने कहा कि फोरेंसिक फिंगरप्रिंट रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया कि गिरफ्तार किया गया व्यक्ति उस अपराध में शामिल नहीं था. अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रणव जोशी की अदालत ने इस सप्ताह आदेश जारी किया और कहा कि CFSL की रिपोर्ट के अनुसार, मोहम्मद बशीरुद्दीन के फिंगरप्रिंट 2003 के भगोड़े आरोपी के फिंगरप्रिंट से मेल नहीं खाते.
घटना 29 जून 2003 की है, जब रेडफर्न, सिडनी (ऑस्ट्रेलिया) के जेम्स स्ट्रीट पर एक व्हीली बिन में स्लीपिंग बैग के अंदर शव मिला था. मृतक की पहचान शौकत मोहम्मद के रूप में हुई. रिपोर्ट के अनुसार, नशीला पदार्थ देकर, पीट-पीटकर और फिर गला घोंटकर हत्या की गई थी. हालांकि, हत्या के बाद से आरोपी फरार था. इस बीच मामले में मोहम्मद बशीरुद्दीन नाम के आदमी को गिरफ्तार कर लिया गया था. इस पर गिरफ्तार व्यक्ति के वकील ने अदालत में दावा किया कि उनके मुवक्किल का नाम है मोहम्मद बशीरुद्दीन, जबकि ऑस्ट्रेलिया की रिकॉर्ड्स में दर्ज आरोपी का नाम है बशीरुद्दीन मोहम्मद. इस तरह से नाम में थोड़ा से पाए गए फर्क की वजह से निर्दोष व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया था.
मोहम्मद बशीरुद्दीन के फिंगरप्रिंट थे अलग
बेगुनाह शख्स मोहम्मद बशीरुद्दीन का पासपोर्ट ही साल 2016 में जारी हुआ था. उसके बाद से वह मात्र एक बार सऊदी अरब गए थे. वह ऑस्ट्रेलिया कभी गए ही नहीं थे. इस आधार पर वकील ने कार्ट में दलील दी कि आरोपी और उनके मुवक्किल दो अलग-अलग व्यक्ति हैं. मामले को लेकर अदालत में 13 जून को केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (CFSL) की सीलबंद रिपोर्ट खोली गई. रिपोर्ट के अनुसार 17 मई 2025 को गिरफ्तार मोहम्मद बशीरुद्दीन के फिंगरप्रिंट मूल आरोपी के फिंगरप्रिंट से मेल नहीं खाते हैं. इसके बाद कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से बरी करने का आदेश दिया.

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