Loksabha Election 2024 Information: आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी गठबंधन इंडिया में शामिल राजनीतिक दल जल्द से जल्द सीट बंटवारे का विवाद सुलझाना चाहते हैं. इसी कड़ी में लगातार बैठकें हो रही हैं. आज मंगलवार (9 जनवरी) को महाराष्ट्र की सीट शेयरिंग को लेकर दिल्ली में इंडिया गठबंधन की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई और उसमें शीट शेयरिंग का फॉर्मूला भी तय हुआ, लेकिन इंडिया गठबंधन के सामने सीट बंटवारे के अलावा संयोजक पद भी एक बड़ी चुनौती है.
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी की बैठक में जिस सीट शेयरिंग पर बात हुई है, उसके तहत कांग्रेस महाराष्ट्र की 20 सीट पर, शिवसेना (उद्धव ठाकरे) 20 सीट पर, एनसीपी (शरद पवार) 6 सीट पर और वंचित बहुजन अघाड़ी 2 सीट पर चुनाव लड़ेगी.
संयोजक पर नहीं हुआ है अभी फैसला
वहीं नीतीश कुुमार को संयोजक बनाने को लेकर काफी खींचतान चल रही है. चर्चा है कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के संयोजक बनना चाहते हैं. इसी वजह से वह लगातार कांग्रेस पर अलग-अलग तरह से प्रेशर बना रहे हैं. हालांकि नीतीश कुमार के पक्ष में इस गठबंधन में शामिल अधिकतर दल नजर आ रहे हैं, लेकिन अंतिम फैसला अभी बाकी है.
नीतीश कुमार को लेकर कोई संदेह नहीं
शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने मीटिंग को लेकर बात करते हुए कहा, “नीतीश कुमार के बारे में किसी के मन में कोई संदेह नहीं है. पहले सीट शोयरिंग हो जाए. कौन कहां से लड़ेगा, इस बात पर खुलकर चर्चा होगी. हमने पूरे 48 सीटों का जायजा लिया और जानने की कोशिश की है कि पार्टी कहां-कहां से लड़ सकती है.”
नीतीश कुमार लगातार बना रहे प्रेशर
बीच में नीतीश कुमार के कांग्रेस से नाराज होने की खबर सामने आई थी. इसके बाद नीतीश कुमार ने बिहार की एक लोकसभा सीट और अरुणाचल प्रदेश की एक सीट से अपने उम्मीदवार की घोषणा भी कर दी, जबकि अभी इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग पर बात नहीं हो सकी है.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नीतीश कुमार ने ऐसा कांग्रेस पर प्रेशर बनाने के लिए किया है. वहीं इसके बाद इंडिया गठबंधन में शामिल अन्य दल एक्टिव हुए और जेडीयू को अपने साथ बनाए रखने की कोशिश में जुट गए. नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन का संयोजक बनाए जाने पर उद्धव ठाकरे ने भी सहमति जता दी है. माना जा रहा है कि अन्य दल भी नीतीश के नाम के साथ तैयार हैं.
क्यों इतने महत्वपूर्ण हैं नीतीश कुमार
दरअसल, कहा जाता है कि नीतीश कुमार के लिए पार्टी और अपना हित सर्वोपरि है. यही वजह है कि वह दो बार बीजेपी से गठबंधन तोड़कर आरजेडी का हाथ थाम चुके हैं, जबकि एक बार वह आरजेडी का साथ भी छोड़ चुके हैं. बिहार में इस समय वह आरजेडी के साथ हैं. दोनों अपना गठबंधन अभी शायद ही तोड़ें. ऐसे में दोनों अगर इंडिया से बाहर जाते हैं तो बिहार की 40 सीटों पर विपक्ष बिखरा नजर आएगा और इसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है.
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