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Hurriyat Chief Mirwaiz Umar Farooq Demands Reinstatement of Employees Dismissed Over Terror Links


हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन मीरवाइज उमर फारूक ने शनिवार (30 नवंबर 2024) को जम्मू और कश्मीर सरकार से आग्रह किया कि वह संदिग्ध आतंकवादी संबंधों के कारण कर्मचारियों को बर्खास्त करना बंद करे और जो पहले से बर्खास्त किए जा चुके हैं, उन्हें बहाल करे. उनका यह बयान जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की ओर से 29 नवंबर को आतंकवाद से जुड़े आरोपों में दो सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त किए जाने के बाद आया है.

आतंकी संबंधों के आरोप पर उठाए सवाल

फारूक ने अपने पोस्ट में कहा, “एक कलम के जरिए दो और सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया, बिना किसी कानूनी प्रक्रिया का पालन किए! कड़ी सर्दियों के पहले परिवारों को गरीबी में धकेल दिया गया. यह सजा और डर एक निरंकुश मानसिकता की पहचान है जो यहां हमें शासित कर रही है.” उन्होंने राज्य के निर्वाचित मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से भी कदम उठाने का आग्रह किया और कहा, “निर्वाचित सरकार को तत्काल इस अन्याय को रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए और बिना सुनवाई के बर्खास्त किए गए सभी कर्मचारियों को बहाल करना चाहिए.”

बर्खास्त किए गए कर्मचारी

बर्खास्त किए गए कर्मचारियों की पहचान अब्दुल रहमान नैका (स्वास्थ्य विभाग में फार्मासिस्ट) और जाहिर अब्बास (स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षक) के रूप में हुई है. उपराज्यपाल सिन्हा ने संविधान के अनुच्छेद 311 (2)(c) का इस्तेमाल करते हुए इन कर्मचारियों को बर्खास्त किया है, क्योंकि कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों की जांच में उनके आतंकवादी कनेक्शन साफ तौर से स्थापित हुए थे.

अन्य कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर भी उठे सवाल

पिछले कुछ सालों में उपराज्यपाल सिन्हा ने अनुच्छेद 311 (2)(c) का इस्तेमाल करके कई सरकारी कर्मचारियों को इसी तरह के आरोपों पर बर्खास्त किया है. इस प्रक्रिया को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि इसमें कर्मचारियों को सुनवाई का मौका नहीं मिलता और बर्खास्तगी के फैसले के खिलाफ कोई कानूनी चुनौती भी नहीं दी जा सकती.

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