लेह हिंसा के तीन दिन बाद पुलिस ने शुक्रवार (26 सितंबर, 2025) को पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत सोनम वांगचुक को गिरफ्तार कर जोधपुर जेल भेज दिया है. उन पर हिंसा भड़काने का आरोप है. वहीं, हालात के मद्देनजर लेह में इंटरनेट सेवा को तुरंत प्रभाव से बंद कर दिया गया है.
सोनम वांगचुक को लेह एयरपोर्ट पर सभी औपचारिक प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद विशेष विमान से राजस्थान के जोधपुर लाया गया. जोधपुर पहुंचने के बाद उन्हें कड़ी सुरक्षा और कई सुरक्षा वाहनों के कावेलकेड के जरिए हाई सिक्योरिटी जेल वार्ड में शिफ्ट किया गया, जहां सोनम वांगचुक 24 घंटे कड़ी सुरक्षा और सीसीटीवी की निगरानी में रहेंगे.
लेह पुलिस के मुताबिक, बुधवार (24 सितंबर, 2025) को प्रदर्शनकारियों को हिंसा के लिए उकसाने के आरोप में पुलिस ने सोनम वांगचुक के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की थीं, जिसके बाद उन्हें शुक्रवार (26 सितंबर) को गिरफ्तार कर लिया गया.
सोनम वांगचुक ने 10 सितंबर से शुरू कर 24 सितंबर को तोड़ा अनशन
10 सितंबर को सोनम वांगचुक ने लेह शहर में क्षेत्र को छठी अनुसूची में शामिल करने, राज्य का दर्जा देने और लद्दाख क्षेत्र के संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा की मांग को लेकर अनशन शुरू किया था. इसके बाद सोनम वांगचुक ने बुधवार (24 सितंबर) को अपना अनशन तब तोड़ा, जब शहर में बड़े पैमाने पर हिंसा शुरू हो गई.
स्थिति बेकाबू होने पर सुरक्षा बलों ने की फायरिंग, चार प्रदर्शनकारियों की मौत
24 सितंबर को लेह शहर में अनियंत्रित भीड़ ने सुरक्षाबलों पर पथराव कर दिया. भीड़ ने सीआरपीएफ के एक वाहन को आग लगा दी. इतना ही नहीं, भाजपा कार्यालय और लेह की शीर्ष संस्था के कार्यालय में भी आगजनी हुई और लद्दाख के डीजीपी के वाहन को भी प्रदर्शनकारियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया. हालात बेकाबू होने पर सुरक्षा बलों ने फायरिंग कर दी, जिसमें चार प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई और करीब 70 घायल हो गए.
लेह और कारगिल में लगा कर्फ्यू
कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए अधिकारियों ने लेह शहर में कर्फ्यू लगा दिया. गुरुवार (25 सितंबर, 2025) की शाम कारगिल शहर में भी कर्फ्यू लगा दिया गया. पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया.
गृह मंत्रालय ने की कार्रवाई, सोनम वांगचुक ने आरोपों से किया इनकार
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने FCRA अधिनियम का उल्लंघन करने के लिए स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) के संस्थापक सोनम वांगचुक का एफसीआरए पंजीकरण प्रमाणपत्र रद्द कर दिया.
इधर, 2018 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार जीतने वाले वांगचुक ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया है. उन्होंने गुरुवार (25 सितंबर) को संवाददाताओं से कहा था कि उनके गैर-लाभकारी संगठन ने विदेशी चंदा नहीं लिया है, बल्कि संयुक्त राष्ट्र, स्विस और इतालवी संगठनों के साथ व्यापारिक लेन-देन किए हैं और सभी करों का भुगतान किया है. वांगचुक ने कहा, ‘केंद्र सरकार ने इसे विदेशी चंदा समझ लिया. मैं इसे उनकी एक गलती मानता हूं और इसलिए मुझे इससे कोई आपत्ति नहीं है.’
सरकार ने दावा- क्षेत्र में बाहरी ताकतों ने हिंसा के लिए उकसाया
पुलिस ने कुछ नेपाली नागरिकों और जम्मू क्षेत्र के डोडा शहर के उन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है, जो हिंसा में शामिल थे. अब वे सुरक्षा बलों की कार्रवाई में लगी चोटों के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती हैं. 2019 में जब लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था, तो केंद्र के इस फैसले का व्यापक स्वागत हुआ था और सोनम वांगचुक उस स्वागत अभियान में सबसे आगे थे. बाद में, उन्होंने छठी अनुसूची में शामिल करने, राज्य का दर्जा और अन्य मांगों के लिए केंद्र के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और भूख हड़ताल का नेतृत्व किया. केंद्र सरकार का मानना है कि लद्दाख के एक बेहद शांतिपूर्ण सीमावर्ती क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हिंसा स्वतःस्फूर्त नहीं हुई है, बल्कि इस शांतिपूर्ण क्षेत्र में अशांति फैलाने के लिए बाहरी लोगों ने उकसाया है.
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