Waqf Board: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने हाल में ही आंतरिक सर्वेक्षण किया था. इस आंतरिक सर्वेक्षण में पाया गया है कि उसके 250 संरक्षित स्मारक वर्तमान में वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत हैं.
इसके बाद उम्मीद की जा रही है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) इस मुद्दे को युक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के समक्ष रखेगी और इन 250 संरक्षित स्मारकों को वापस अपने नियंत्रण में वापस मांगेंगी.
रिपोर्ट में हुए कई बड़े खुलासे
इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट्स में बताया कि इस मौजूदा सूची में भारत के मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति पर 2006 की सच्चर समिति की रिपोर्ट में सूचीबद्ध कई स्मारक भी शामिल हैं. हालांकि ये सभी 172 स्थल राष्ट्रीय महत्व के संरक्षित स्मारक नहीं हैं.
दिल्ली के कुछ प्रमुख स्थलों में फिरोजशाह कोटला में जामा मस्जिद, आरके पुरम में छोटी गुमटी मकबरा, हौज खास मस्जिद और ईदगाह भी इस सूची में शामिल हैं. सूत्रों का कहना है कि ये स्मारक देश के अधिकांश हिस्सों में फैले हुए हैं.
पहले एएसआई ने 120 बताई थी संख्या
सितंबर में जेपीसी की चौथी बैठक के दौरान एएसआई ने यह संख्या 120 बताई थी. इसके बाद देश के हर कोने से रिपोर्ट मांगी गई थी और अब यह संख्या 250 तक पहुंच गई है, सूत्रों ने बताया कि एजेंसी जेपीसी को बताएगी कि इससे किस तरह प्रबंधन और संरक्षण कार्य में टकराव पैदा होता है. इनमें से कई स्मारकों को वक्फ बोर्ड ने एकतरफा तरीके से अपनी संपत्ति के रूप में पंजीकृत कर लिया है.
इस वजह से हो रहा है विवाद
ऐसा माना जा रहा है कि एएसआई और वक्फ बोर्ड के बीच विवाद का एक और कारण इन विवादों की एकतरफा प्रकृति है. वक्फ अधिनियम 1995 बोर्ड को दान के नाम पर किसी भी संपत्ति या इमारत को वक्फ संपत्ति घोषित करने का अधिकार देता है. इस अधिकार का उपयोग करते हुए बोर्ड ने संरक्षित स्मारकों को वक्फ संपत्ति घोषित करने के लिए अधिसूचनाएं जारी की हैं. जिसके परिणामस्वरूप प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम (एएमएएसआर) 1958 के तहत दिए गए अधिकारों के साथ टकराव हुआ है.
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