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(*15*) Attack 15 Years China Backing LET And Pakistan To Prevent Listing As Terrorist Organisation UN


26/11 (*15*) Attack 15 Years: 26 नवंबर 2008 मुंबई में भीषण आतंकी हमले ने पूरी दुनिया को हिला दिया था. आतंकियों ने बर्बर तरीके से होटल ताज और अन्य जगहों पर हमले किए थे. चारों तरफ लाशों का अंबार लगा था, जिसे देख पूरी दुनिया हैरान थी. पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों ने चार दिनों तक जो खून खराबा मचाया उसे पूरी दुनिया ने देखा. 164 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 300 से अधिक लोग घायल हुए थे. इस वारदात के 15 साल बीत जाने के बाद भी आतंकियों को सजा नहीं हो पाई है. इसकी सबसे बड़ी वजह चीन और पाकिस्तान की दोस्ती है.

भारत के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य पश्चिमी देशों के लगातार प्रयास के बावजूद चीन ने बार-बार वीटो लगाकर संयुक्त राष्ट्र की सूची में आतंकी वारदात को अंजाम देने वाले लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों को शामिल होने से रोका है. इतना ही नहीं पाकिस्तान में चीन की मदद से यह आतंकी संगठन लगातार फल फूल रहा है.

शी जिनपिंग के राष्ट्रपति बनने के बाद आतंकी संगठनों को समर्थन

मार्च 2013 में शी जिनपिंग के राष्ट्रपति बनने के बाद से, चीन से लश्कर-ए-तैयबा और बहावलपुर स्थित जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) से जुड़े पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को लगातार संयुक्त राष्ट्र में समर्थन मिल रहा है. 26/11 के हमले के मास्टरमाइंड लश्कर-ए-तैयबा के मुखिया हाफिज सईद, उसके बहनोई अब्दुल रहमान मक्की, ऑपरेशनल प्लानर जकी उर रहमान लखवी और फाइनेंसर आरिफ कासमानी सहित कई अन्य आतंकी आज तक सजा से बचते रहे हैं. साजिद मीर, 10 आतंकवादियों का प्रमुख हैंडलर था जिसने हमले के दौरान नरीमन पॉइंट पर चबाड हाउस में दो आतंकी हमले की निगरानी की थी.

अमेरिका के प्रस्ताव को चीन ने रोका

संयुक्त राष्ट्र के आतंकवादियों की सूची में साजिद मीर उर्फ वासी भाई को नामित करने का प्रस्ताव अमेरिका द्वारा 6 सितंबर, 2022 को लाया गया था. चीन ने 15 सितंबर को इस पर रोक लगा दी. इसी तरह से 26/11 हमले के फाइनेंसर अब्दुल रहमान मक्की को नामित करने का प्रस्ताव भारत द्वारा 1 जून, 2022 को अमेरिका की मजद से लाया गया था. तब भी चीन ने 16 जून, 2022 को प्रस्ताव को रोक दिया. अमेरिका ने तब मामले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ले जाने की चेतावनी दी जिसके बाद चीन ने मजबूरी में 16 जनवरी, 2023 को रोक हटाई. इसके बाद मक्की, जिसके सिर पर 2 मिलियन डॉलर का इनाम है, को सूची में डाल दिया गया.

आतंकियों का समर्थक रहा है चीन

मुंबई हमले के आतंकियों का समर्थन के लिए लगातार किया है. लश्कर के प्रचार विंग के सदस्य शाहिद महमूद को वैश्विक आतंकवादी के रूप में नामित करने का प्रस्ताव भारत और अमेरिका द्वारा 4 अक्टूबर, 2022 को प्रस्तुत किया गया था. साजिद मीर का करीबी सहयोगी, महमूद प्रतिबंधित फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन की आड़ में आतंकी फंड जुटाता है. तब एक बार फिर चीन ने प्रस्ताव को 18 अक्टूबर, 2022 को रोक दिया और अंततः 29 नवंबर, 2022 को इस पर आपत्ति जताई. अंत में, हाफिज सईद के बेटे तल्हा सईद को नामित करने का प्रस्ताव अमेरिका और भारत द्वारा 5 अक्टूबर, 2022 को प्रस्तुत किया गया. तब भी चीन ने 19 अक्टूबर, 2022 को नामित करने के प्रस्ताव पर रोक लगाई और 29 नवंबर, 2022 को इस पर आपत्ति जताई.

जैश-ए-मोहम्मद का भी पैरोकार रहा है चीन

पाकिस्तान में आतंकवादी और आतंकवादी समूहों को चीनी समर्थन केवल लश्कर-ए-तैयबा तक ही सीमित नहीं है. वह कुख्यात आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर अल्वी को भी वैश्विक आतंकी के रूप में सूचीबद्ध करने में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और भारत के प्रयासों को तीन साल तक रोकता रहा. यह प्रस्ताव फरवरी 2016 को पेश किया गया था और अंततः 1 मई, 2019 को सूचीबद्ध किया गया था. वह भी तब जब आतंकी संगठन ने पुलवामा हमले में सीआरपीएफ जवानों की हत्या कर दी थी.

उनके भाई अब्दुल रऊफ असगर अल्वी को जैश-ए-मोहम्मद का चीफ ऑपरेशनल कमांडर नामित करने का प्रस्ताव 27 जुलाई, 2022 को अमेरिका और भारत द्वारा प्रस्तुत किया गया था. तब भी चीन ने 10 अगस्त, 2022 को इस पर रोक लगाकर पाकिस्तान का समर्थन किया. 10 मई, 2023 तक चीन रोक आपत्ति करता रहा है.

अब इन आतंकियों वैश्विक आतंकी घोषित करने की योजना

आतंकियों को लगातार मिल रहे चीन के समर्थन के बावजूद भारत अब कई और आतंकियों को वैश्विक आतंकी की सूची में शामिल करने की योजना पर काम कर रहा है . हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत अब लश्कर के पूर्व मुख्य कमांडर यूसुफ मुजम्मिल, मसूद के भाई अतहर इब्राहिम अल्वी, पठानकोट हमले के आरोपी अली काशिफ जान और पुलवामा हमले के आरोपी मोहिउद्दीन औरंगजेब आलमगीर को सूचीबद्ध करने का प्रस्ताव देने की योजना पर काम कर रहा है. भारत के इस कदम के समर्थन में सबूतों को इकट्ठा किया जा रहा है. हालांकि एक बार फिर आशंका है कि चीन पाकिस्तान में इन आतंकवादियों को दंडित करने के इन सभी प्रस्तावों को रोक देगा.

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