Women Reservation Bill Handed: संसद के विशेष सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही नए संसद भवन में हो रही है. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला आरक्षण बिल का नाम बताते हुए इसे नारी शक्ति वंधन अधिनियम कहा. कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने इसे लोकसभा में पेश किया. इससे पहले महिला आरक्षण बिल को कई बार पेश किया जा चुका है लेकिन पास नहीं हो पाया. कई पार्टियों ने इसका जमकर विरोध किया.
इसी क्रम में जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) नेता शरद पवार ने इसका विरोध करते हुए कुछ ऐसा कह दिया था कि उनके बयान पर जमकर बवाल हुआ और उन्हें माफी भी मांगनी पड़ी थी. दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के नेतृत्व वाली सरकार में साल 1996 में इस विधेयक को पेश किया गया था. फिर साल 1997 में प्रस्ताव पर जब चर्चा की गई और शरद यादव बोलते हुए कहा, “क्या आप परकटी महिलाओं को सदन में लेकर आना चाहते हैं?”
शरद यादव ने क्या कहा था?
सदन में दर्ज शरद यादव के बयान के मुताबिक, उन्होंने कहा, “श्रीमान स्पीकर सर, महिलाओं के 33 प्रतिशत आरक्षण के बारे में मैं एक चीज साफ कर देना चाहता हूं. मैं उनके 50 प्रतिशत आरक्षण के भी पक्ष में हूं और 55 प्रतिशत भी दे दीजिए. ये देश के संविधान में पूना एक्ट के तहत लिखा हुआ है, जो लोग पिछड़े, सामाजिक और आर्थिक तौर पर अति पिछड़े हैं वो समाज पुरुष प्रधान है. वहां पर जातिवाद है. भारत का हिंदू समुदाय पुरुष प्रधान है. इस देश की सबसे बड़ी बीमारी जातिवाद है. ये सदन इसके बारे में कभी ध्यान नहीं देता.”
उन्होंने माफी मांगते हुए आगे कहा, “अगर आप चाहते हैं कि ये देश वास्तव में महाने बने तो जाति व्यवस्था के उन्मूलन के लिए एक क्रांतिकारी प्रस्ताव लेकर आना चाहिए. इससे महिलाओं की स्वतंत्रता सुनिश्चित होगी. मैंने बार-बार कहा कि हम इस विधेयक के पूरी तरह से खिलाफ नहीं थे. मैं क्षमा चाहता हूं मैं जो सुबह बात की थी. मैं सच में इसके लिए माफी मांगता हूं.”
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