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Will No Confidence Motion Against Modi Government Fail Know Opposition Plan Congress BJP NDA Vs INDIA


No Confidence Motion: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के खिलाफ विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया है. प्रस्ताव को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने स्वीकार कर लिया है, जिसका मतलब है कि मोदी सरकार के 9 साल के कार्यकाल में ये दूसरा मौका पर जब उसे विपक्ष के भरोसे का टेस्ट देना होगा.

2018 में विपक्ष ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तंज कसते हुए कहा था, मैं आपको शुभकामनाएं देना चाहता हूं. आप इतनी मेहनत करो कि 2023 में आपको फिर से अविश्वास प्रस्ताव लाने का मौका मिले. यानि पीएम मोदी ने जो कहा था, वो अब सच हो गया है. विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया है.

लोकसभा का गणित समझ लीजिए

विपक्ष ने मणिपुर में हिंसा के मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है, तो कई सवाल भी उठे हैं. एक तरफ प्रचंड संख्याबल है, दूसरी तरफ विपक्ष के पास गिनती के नंबर. ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव क्यों लाया गया? प्रस्ताव से किसे फायदा-नुकसान होगा?

इन सवालों के जवाब जानने से पहले लोकसभा का गणित जानना जरूरी है. एनडीए के पास 331 सांसदों का संख्याबल है, तो विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के पास 144 सांसद हैं. इन दोनों खेमे से बाहर जो दल हैं, उनके पास 63 लोकसभा सांसद हैं.

गिरना तय तो क्यों लाया विपक्ष?

लोकसभा में मोदी सरकार के प्रचंड बहुमत के सामने प्रस्ताव का गिरना तय है. जब नतीजा पहले से पता है तो इस अविश्वास प्रस्ताव के पीछे का हासिल क्या है? कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी कहते हैं कि हर बार मुद्दा जीतने या हारने का नहीं होता है. हम ये अविश्वास प्रस्ताव इसलिए लाए हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री जी सारे विपक्ष की चिंता को अनदेखी करते हुए हमारी मांग को ठुकरा रहे हैं. उन्होंने कहा, हमारी बहुत छोटी मांग है कि प्रधानमंत्री मणिपुर के मुद्दे पर सदन के अंदर छोटा सा बयान दें और मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा हो.

अविश्वास प्रस्ताव पेश करने वाले कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा, ‘इंडिया’ गठबंधन के दलों के पास कितने सांसद हैं, इससे हम भलीभांति वाकिफ हैं. ये संख्या की बात नहीं, मकसद है कि संदेश जाना चाहिए कि भले ही प्रधानमंत्री मणिपुर को भूल चुके हैं, लेकिन आज इस मुश्किल समय में ‘इंडिया’ गठबंधन मणिपुर के साथ खड़ा है.

विपक्ष को अविश्वास प्रस्ताव से क्या हासिल होगा?

  • विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव की मंजूरी से उसे नैतिक जीत मिलेगी
  • इस बहाने विपक्ष को मणिपुर हिंसा पर सरकार को घेरने का मौका मिलेगा
  • मणिपुर के बहाने विपक्ष महिला सुरक्षा के मुद्दे पर केंद्र को कटघरे में खड़ा कर पाएगा.
  • अविश्वास प्रस्ताव मंजूर होने के बाद अब पीएम मोदी को मणिपुर हिंसा पर बयान देना पड़ेगा.

सरकार ने भी अपनाया आक्रामक तेवर

विपक्ष को मणिपुर के मुद्दे पर पीएम मोदी से जवाब पर अड़ा है तो सरकार भी विपक्ष पर हमलावर है. बुधवार (26 जुलाई) को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पलटवार करते हुए कहा, विपक्ष केवल मणिपुर पर ही सवाल क्यों पूछ रहा है. वो राजस्थान, छत्तीसगढ़ और बिहार पर चर्चा कब करेगा. उन्होंने कहा, मुझे बताइए राजस्थान पर आप कब चर्चा करेंगे. आप छत्तीसगढ़ पर कब बात करेंगे. आप बिहार की घटनाओं पर कब बात करेंगे.

स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी की मणिपुर यात्रा को भी निशाने पर लिया और कहा, आप इस पर कब बात करेंगे कि कैसै राहुल गांधी ने मणिपुर को आग के हवाले कर दिया. कांग्रेस शासित राज्यों में होने वाले महिला अपराधों पर कब बात करेंगे.

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