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Union Minister Hardeep Singh Puri Mahatma Gandhi Was Quite A Complicated Man


Mahatma Gandhi: भारत के स्वतंत्रता संग्राम में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के योगदान को लिखित रूप से अच्छे से उल्लेखित किया गया है. वह थोड़े जटिल व्यक्तित्व वाले शख्स थे. ये बातें कही हैं केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जंग के लिए भारत की तरफ से मदद देने की बात की. हरदीप पुरी ने दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के कई किस्सों और उनकी बातों का जिक्र किया. 

प्रसार भारती बोर्ड के सदस्य और वरिष्ठ पत्रकार अशोक टंडन ने ‘द रिवर्स स्विंग-कोलोनियलिज्म टू कॉपरेशन’ नाम से एक किताब लिखी है. इस किताब के विमोचन समारोह में केंद्रीय मंत्री पुरी शामिल हुए और यहां लोगों को संबोधित किया. उन्होंने बताया कि किस तरह उन्होंने अंग्रेजों की मदद करने की बात कही. केंद्रीय मंत्री ने बताया कि किस तरह राष्ट्रपिता की इंग्लैंड में हुई उनकी पढ़ाई-लिखाई का असर उनके स्वभाव पर पड़ा और वह किस तरह के बैरिस्टर थे. 

‘हम सभी राष्ट्रपिता के अनुयायी’

केंद्रीय मंत्री पुरी ने कहा, ‘किताब में एक चैप्टर महात्मा गांधी पर है. हम सभी राष्ट्रपिता के अनुयायी हैं. भारत निर्माण में, अभिजात्य राष्ट्रीय आंदोलन और आम जनता के बीच सेतु बनाने में उनकी भूमिका का दस्तावेजी रूप में अच्छी तरह उल्लेख है.’ उन्होंने कहा, ‘महात्मा गांधी अपने आप में थोड़े जटिल शख्सियत थे. ब्रिटेन में रहते हुए उन्होंने दरअसल प्रथम विश्व युद्ध में जंग के प्रयासों के लिए भारत की मदद भेजने को कहा था. दस्तावेजों में यह भलीभांति अंकित है.’

‘अंग्रेजी शैली के बैरिस्टर थे गांधी’

हरदीप पुरी ने कहा कि ब्रिटेन में गांधी के शुरुआती जीवन, उनकी शिक्षा ने उन्हें एक ‘अंग्रेजी शैली के बैरिस्टर’ के रूप में तैयार करने का काम किया. उन्होंने कहा, ‘जब वह दक्षिण अफ्रीका जाते हैं तो ये वो गांधी थे जिन्हें हम जानते हैं, जिन्होंने हमारे राष्ट्रीय आंदोलन के आकार लेने में योगदान दिया.’ पुस्तक की विषय-वस्तु का उल्लेख करते हुए पुरी ने कहा कि इसमें एक अध्याय इस बारे में है कि भारत ने किस तरह ब्रिटेन को पीछे छोड़कर विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का स्थान हासिल किया है. 

उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि हममें से ज्यादातर लोग इसे लेकर खुश होते हैं. उन्होंने कहा कि जब हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेंगे और जापान और जर्मनी से आगे निकल जाएंगे, तो मुझे नहीं लगता कि हमें उतना अच्छा लगेगा. उन्होंने इसके पीछे ब्रिटेन के साथ ऐतिहासिक संबंध होने की वजह बताई. 

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