Uniform Civil Code Problem: लॉ कमीशन ने समान नागरिक संहिता (UCC) पर धार्मिक संगठनों और लोगों से राय मांगी है. इसकी मियाद शुक्रवार (28 जुलाई) को खत्म हो रही है. यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर सरकार और विपक्ष एक दूसरे पर हमलावर है. इसी बीच भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के वरिष्ठ नेता अतुल अंजान ने एबीपी से बात करते हुए कहा कि केंद्र की मोदी सरकार इसको 2024 के लोकसभा चुनाव देखते हुए लाई है.
सीपीआई के वरिष्ठ नेता अतुल अंजान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, ”पीएम मोदी के पास महंगाई, गरीबी, बेकारी, अर्थव्यवस्था और देश में बेरोजगारी से करहाते युवकों की चर्चा नहीं है. वो संकीर्ण धार्मिक भावनाओं के बहते हुए ज्वार पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकना चाहते हैं. इस कारण अनावश्यक रूप से यूसीसी पर बहस कर रहे हैं.”
अतुल अंजान ने आगे कहा, ”भारतीय संविधान में यूसीसी पर तो सिर्फ डेढ़ लाइन है. सीपीआई की साफ समझ है कि अनावश्यक रूप से इस पर चर्चा करके 2024 के चुनाव में ध्रुवीकरण कर समाज को हिंदू और मुस्लिम में बांटना है. एक बार फिर वोट लेने और सत्ता में आने के लिए पीएम मोदी का ये दुष्प्रचार है.”
अतुल अंजान ने क्या कहा?
अतुल अंजान ने कहा कि लॉ कमीशन ने पहले कहा था कि भारत में यूसीसी की जरूरत नहीं है, लेकिन अब क्या हो गया. इसे हिंदू और मुस्लिम बनाने की जरूरत क्या है? यूसीसी लागू होता है तो इसका असर तो देश के 650 कबीलों पर होगा. हमारी गोद लेने की प्रथा से उत्तराधिकार की प्रथा सब अलग है. सुनने में अच्छा लगता है कि एक देश, एक कानून लेकिन हमारे यहां विविधता है.
पीएम मोदी ने क्या कहा था?
हाल ही में पीएम मोदी ने भोपाल में बीजेपी के कार्य़क्रम में विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा था कि यूसीसी का विरोध ये लोग वोट बैंक के लिए कर रहे हैं. उन्होंने कहा था कि यूसीसी का जिक्र तो संविधान में भी है. कई बार सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि यूसीसी लाओ. एक देश में दो कानून कैसे चल सकते हैं.
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