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Udhayanidhi Stalin Sanatana Dharma Remark Row How Sanatana Different From Hindutva And Hinduism Tells Acharya Prashant


Udhayanidhi Stalin Sanatana Dharma Row: तमिलनाडु सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन के बयान के बाद देश में सनातन धर्म को लेकर चर्चा जोरों पर हैं. डीएमके नेता के बयान को लेकर हिंदू संगठनों ने हिंदू धर्म पर हमला बोला है. बीजेपी ने तो यहां तक कहा कि डीएमके नेता देश की 80 फीसदी हिंदू आबादी के नरसंहार के आह्वान कर रहे हैं. इस बीच एक बहस और जारी है कि क्या हिंदू, हिदुइज्म और सनातन धर्म एक ही हैं या इनमें कोई अंतर है. इस बारे में आचार्य प्रशांत ने अपनी राय रखी है.

उदयनिधि स्टालिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे हैं. उन्होंने इसी 2 सितम्बर को चेन्नई में एक सम्मलेन में कहा था कि कुछ चीजों को सिर्फ निंदा नहीं करते, उन्हें खत्म करते हैं. जैसे मच्छर, डेंगू, मलेरिया, कोरोना वायरस. सनातन धर्म भी इसी तरह है.

उदयनिधि के बयान के बाद उन पर हमले शुरू हुए तो डीएमके के एक दूसरे नेता ए राजा ने उससे भी भड़काऊ बात कह दी. पूर्व केंद्रीय मंत्री राजा ने सनातन धर्म की तुलना एचआईवी और कुष्ठ रोग से कर डाली. विवाद और बयानबाजी के बीच आइए हिंदू और सनातन के बारे में जानते हैं.

हिंदुत्व, हिंदुइज्म और सनातन में फर्क

टाइम्स ऑफ इंडिया के पॉडकास्ट में आचार्य प्रशांत कहते हैं कि हिंदुत्व, हिंदुइज्म और सनातनी अलग-अलग चीजें हैं. आप हिंदू तब हैं जब आप विश्वास करते हैं, लेकिन आप सनातनी होते हैं, जब सभी विश्वासों या मान्यताओं को खारिज कर देते हैं. सत्य और मान्यताएं साथ नहीं चल सकती हैं.

सनातन सत्य की निर्मम खोज

आचार्य प्रशांत आगे कहते हैं कि सनातन धर्म सत्य की खोज है. सनातन धर्म एक ऐसा दर्शन है, जो जीवन को उद्देश्य देता है. ये इस बात को जानने की कोशिश करता है कि हमारे जीवन में पीड़ा क्यों है और फिर इस पीड़ा को खत्म करने का प्रयास करता है. 

हिंदुइज्म के बारे में आचार्य प्रशांत बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि ये विभिन्न प्रकार की मान्यताओं और विश्वासों का समूह है. हिंदुइज्म एक विश्वास प्रणाली है जबकि सनातन धर्म सत्य की निष्ठुर खोज है.

‘हिंदू होना मतलब सनातनी नहीं’

उन्होंने आगे कहा, ये दोनों दो ध्रुवों पर खड़े हैं. हिंदू होना सनातनी होना बिल्कुल नहीं है. सनातनी वो है जो सभी विश्वासों से मुक्त है. विश्वास बंधन बनाते हैं और सनातन का मार्ग मुक्ति का मार्ग है. दरअसल, हम जो हिंदुइज्म हम देखते हैं, वो अधिकांश विश्वास प्रणाली है.

आचार्य प्रशांत आगे कहते हैं कि हिंदुइज्म के बारे में अच्छी बात है कि ये बहुत ही उदार है. आप जिसे चाहें, उसकी पूजा कर सकते हैं. कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है जो आपको गैर हिंदू घोषित कर सके. 

हिंदुत्व क्या है?

हिंदुत्व को आचार्य प्रशांत एक राजनीतिक विचार बताते हैं तो सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की बात करता है. ये एक खास किस्म की संस्कृति के शासन का समर्थन करता है. हिंदुत्व के अंदर राष्ट्र और संस्कृति एक दूसरे के पर्याय हो जाते हैं, इसमें पॉलिटिकल पॉवर को मिला दीजिए, यही हिंदुत्व है.

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