Maruthu Brothers Memorial Day perform: तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि सोमवार (23 अक्टूबर) को स्वतंत्रता सेनानी मरुधु ब्रदर्स मेमोरियल दिवस समारोह में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आज स्वतंत्रता सेनानी केवल जाति के नेता बनकर रहे गए हैं.
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक उन्होंने कहा, “मुझे दुख होता है कि ये नेता जाति के नेता बनकर रह गए हैं. जिस शख्स ने पूरे देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी, जो जातियों में भेदभाव नहीं करता था, लेकिन आज ये महज एक जाति के नेता बनकर रह गए हैं.”
‘स्वतंत्रता सेनानियों को भुलाने की कोशिश’
राज्यपाल ने आगे कहा कि अगर देश के राष्ट्रीय स्वतंत्रता सेनानियों को लेकर देशभर में जश्न मनाया जाता तो लोग इसमें शामिल होते और जश्न मनाते, लेकिन सरकार जब से इनको लोगों के जहन से मिटाने की कोशिश कर रही है और उनके योगदान को स्कूली किताबों से हटाया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि हालांकि, कई नेता कुछ स्वतंत्रता सेनानियों की जयंती पर फूल चढ़ाते हैं. वह वोट बैंक के लिए ऐसा करते हैं.
‘अपने नेता को नहीं भूलता समुदाय’
एन रवि ने कहा कि जब सरकार या शासन उन्हें (स्वतंत्रता सेनानी) मान्यता नहीं देती तो लोग उन्हें भूलना शुरू कर देते हैं, लेकिन जिस समुदाय से वह आते हैं, वह समुदाय उन्हें कभी नहीं भूलता.
कौन थे मरुधु बंधु?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक पेरिया मरुधु और चिन्ना मरुधु 18वीं शताब्दी में तमिलनाडु स्थित शिवगंगा के शासक थे. उन्होंने 1801 में श्रीरंगम मंदिर में ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की थी. हालांकि, अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध हारने के बाद उन्हें 24 अक्टूबर, 1801 को तिरुपथुर में फांसी दे दी गई थी. इतना ही नहीं उनके सभी साथी विद्रोहियों, उनके कमांडरों और नौकरों और उनके बेटों को भी फांसी दे दी गई थी.
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