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Supreme Court Stopped | Supreme Court Defers From An Order Allowing (*26*) Woman To Terminate 26 Weeks Pregnancy Will Constitute New Bench


Supreme Court Order: सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की खंडपीठ में मंगलवार (10 अक्टूबर) को अपने एक बड़े फैसले में एक महिला के गर्भपात कराने के अन्य पीठ के फैसले पर रोक लगा दी. खंडपीठ ने महिला अधिकारों पर बड़ी टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि लड़की शादीशुदा हो या अविवाहित, उसे सुरक्षित गर्भपात का कानूनी अधिकार है.

उच्चतम न्यायालय ने यह आदेश एक विवाहित महिला के गर्भ में पल रहे 26 सप्ताह के भ्रूण को समाप्त करने के एक आदेश के खिलाफ लगाई गई याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया है. एक अन्य पीठ ने एक दिन पहले सोमवार को ही महिला के 26 सप्ताह के भ्रूण को समाप्त करने का आदेश एम्स के डॉक्टर को दिया था. 

मेडिकल रिपोर्ट में बच्चे के जन्म की संभावना
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी के आग्रह के बाद एम्स को फिलहाल महिला का गर्भपात नहीं करने को कहा है. भाटी ने पीठ से कहा कि मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट को दरकिनार कर महिला को गर्भपात कराने की अनुमति दी गई. उन्होंने कहा कि मेडिकल बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि गर्भ में पल रहे भ्रूण के जन्म लेने की संभावना है.

दलीलें सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि एम्स के डॉक्टर बहुत गंभीर दुविधा में हैं, मैं बुधवार की सुबह एक नई पीठ का गठन करूंगा. कृपया एम्स के डॉक्टरों से अभी रुकने के लिए कहें.

एक दिन पहले ही मिली थी गर्भपात की अनुमति
सुप्रीम कोर्ट‌ की न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने सोमवार‌ (8 अक्टूबर) को महिला के गर्भ में पल रहे 26 सप्ताह के भ्रूण को खत्म करने की अनुमति दी थी. जिस महिला से संबंधित यह मामला है उसके दो बच्चे पहले से हैं. महिला की ओर से कोर्ट में बताया गया था कि वह बेहद गरीब है और तीसरे बच्चे की पालने की स्थिति में नहीं है इसलिए मानसिक तनाव से गुजर रही है.

गत 5 अक्टूबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता महिला की शारीरिक स्थिति का आंकलन करने के लिए एक मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश दिया था. महिला ने खुद ही गर्भपात की अनुमति मांगी है जिसकी वजह से यह मामला सुर्खियों में है.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेगनेंसी एक्ट (एमटीपी) के तहत 24 हफ्ते तक के भ्रूण के अबॉर्शन का अधिकार महिलाओं को है. इस संबंध में भी मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि महिला विवाहित हो या अविवाहित उसे बिना भेदभाव यह अधिकार मिलना चाहिए.

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