सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी केस के आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने से मना किया है. मामले के एक गवाह ने आशीष से जुड़े एक बीजेपी नेता पर उसे प्रभावित करने की कोशिश का आरोप लगाया था. कोर्ट ने उससे पुलिस को आवेदन देने के लिए कहा. कोर्ट ने फिलहाल लखनऊ में रह रहे आशीष को रामनवमी की पूजा में शामिल होने के लिए 5 से 7 अप्रैल के बीच लखीमपुर जाने की अनुमति भी दी है. कोर्ट ने शर्त रखी है कि वह इस दौरान पारिवारिक कार्यक्रम में ही शामिल हों, अपने समर्थकों से मुलाकात न करें.
इससे पहले भी मामले से जुड़े कुछ गवाहों ने खुद को धमकाए जाने का आरोप लगाया था, लेकिन जांच में उन आरोपों की पुष्टि नहीं हुई. आशीष के लिए पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा कि इस तरह के दावे उनके मुवक्किल को किसी भी तरह वापस जेल भेजने के लिए किए जाते हैं. मामले के गवाह बलजिंदर सिंह के लिए पेश वकील प्रशांत भूषण ने इसका विरोध करते हुए जांच की मांग की. इस पर कोर्ट ने उन्हें पुलिस के पास आवेदन देने की अनुमति दी.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने मुकदमे में 150 से ज्यादा लोगों को गवाह बनाए जाने पर आपत्ति जताई. जजों ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में गवाहों के होने से मुकदमे में देरी होती है. साथ ही, कई गवाहों के अपने बयान से मुकर जाने का भी अंदेशा बना रहता है. इससे मुकदमा कमजोर हो जाता है. जजों ने कहा कि 16 अप्रैल को होने वाली अगली सुनवाई में ट्रायल कोर्ट अहम गवाहों के बयान रिकॉर्ड करने की कोशिश करे.
क्या है मामला?
3 अक्टूबर, 2021 को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में आंदोलनकारी किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ाए जाने की घटना हुई थी. इस घटना में और उसके बाद उग्र किसानों की तरफ से की गई आरोपियों की पिटाई में कुल 8 लोगों की जान गई थी. मामले का मुख्य आरोपी तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी का बेटा आशीष मिश्रा उर्फ मोनू है.
10 फरवरी, 2022 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आशीष को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. 18 अप्रैल, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश को रद्द कर दिया था. उसके बाद वह जेल में रहा. 25 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ उसकी रिहाई का आदेश दिया.
जुलाई, 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा की अंतरिम जमानत को नियमित जमानत में बदल दिया था. कोर्ट ने शर्त रखी थी कि वह दिल्ली या लखनऊ में रहे. कोर्ट ने कहा था कि जब मुकदमे में पेशी हो, तो वह लखीमपुर जा सकता है.
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