Supreme Court: टेलीविजन समाचार चैनलों को रेगुलेट करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि इनमें दिखाए जाने वाला कंटेंट काफी खतरनाक है, इसीलिए इसे लेकर सख्त नियम बनाने की जरूरत है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर सख्त टिप्पणी भी की और कहा कि दर्शकों को ये चुनने की आजादी है कि वो इन चैनलों को देखें या नहीं.
आपको बटन दबाने की आजादी- सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस अभय ओका की अगुवाई वाली बेंच ने इन याचिकाओं को लेकर ये टिप्पणी की. इस दौरान बेंच ने सभी मामलों को सुप्रीम कोर्ट में लाने के चलन पर नाराजगी जताई और याचिकाकर्ताओं से पूछा कि वो पहले हाईकोर्ट क्यों नहीं गए? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आपको ये न्यूज चैनल पसंद नहीं हैं तो आप इन्हें न देखें. आपको टीवी का बटन दबाने की पूरी आजादी है, आप चाहें तो इसे बंद कर सकते हैं.
याचिकाओं पर विचार से इनकार
इसके अलावा इन याचिकाओं में इस बात का भी जिक्र किया गया था कि तमाम अलग-अलग सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर जजों के बारे में कई तरह के बयान दिए जाते हैं. जिन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए. इस पर बेंच ने कहा कि हम इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी तमाम याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया. जिनमें मीडिया संस्थानों और प्लैटफॉर्म्स के खिलाफ शिकायतों पर तुरंत फैसला और कार्रवाई के लिए एक स्वतंत्र मीडिया ट्रिब्यूनल बनाने की मांग की गई थी.
इन तमाम याचिकाओं में मीडिया और खासतौर पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रसारित होने वाले कंटेंट के लिए दिशा-निर्देश तय करने और कई अहम मुद्दों पर टीवी चैनलों की सनसनीखेज रिपोर्टिंग को रोकने की मांग की गई थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इससे इनकार दिया.
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