SC On Bihar Caste Survey: सुप्रीम कोर्ट ने जाति सर्वेक्षण कराने के बिहार सरकार के फैसले को बरकरार रखने के पटना हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई के लिए सोमवार (5 फरवरी) को 16 अप्रैल की तारीख तय की.
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा कि इस मामले में विस्तृत सुनवाई की जरूरत है. जस्टिस खन्ना ने कहा कि इस मुद्दे पर दायर सभी हस्तक्षेप आवेदनों पर भी 16 अप्रैल को अंतिम सुनवाई होगी.
चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं को SC से नहीं मिली थी अंतरिम राहत
शीर्ष अदालत ने दो जनवरी को बिहार सरकार से जाति सर्वेक्षण का विवरण सार्वजनिक करने को कहा था ताकि असंतुष्ट लोग निष्कर्षों को चुनौती दे सकें. इसने जाति सर्वेक्षण को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं को किसी भी तरह की अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था.
शीर्ष अदालत ने जाति सर्वेक्षण पर रोक लगाने से इनकार करने के पटना हाई कोर्ट के एक अगस्त, 2023 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर औपचारिक नोटिस जारी किया था.
कई याचिकाएं की गई हैं दायर
गैर सरकारी संगठन ‘एक सोच एक प्रयास’ की याचिका के अलावा, कई अन्य याचिकाएं भी दायर की गई हैं. इनमें एक याचिका नालंदा निवासी अखिलेश कुमार की भी है, जिन्होंने तर्क दिया है कि इस कवायद के लिए राज्य सरकार की ओर से जारी अधिसूचना संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ है.
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने दो अक्टूबर 2023 को जाति सर्वेक्षण के निष्कर्ष जारी किए थे. इससे असंतुष्ट लोगों ने ने दावा किया कि यह कदम 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है.
बिहार में ओबीसी और ईबीसी राज्य की आबादी का हैं 63 प्रतिशत
नीतीश कुमार तब जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे थे. वह पिछले महीने फिर से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल हो गए. आंकड़ों से पता चला कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) राज्य की आबादी का 63 प्रतिशत हैं.
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