SC On One Constitutional Religion Plea: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (18 सितंबर) को देश में ‘एकल संवैधानिक धर्म’ की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी. शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि क्या वे लोगों को उनकी धार्मिक आस्थाओं का पालन करने से रोक सकते हैं. दो याचिकाकर्ताओं ने यह याचिका दायर की थी.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि उन्हें ऐसी याचिका दायर करने का विचार कहां से आया. बेंच ने याचिकाकर्ताओं से पूछा, “आपने कहा कि एक संवैधानिक धर्म होना चाहिए. क्या आप लोगों को उनके धर्म का पालन करने से रोक सकते हैं? यह क्या है?”
एकल संवैधानिक धर्म की मांग वाली याचिका किसने दायर की थी?
एक याचिकाकर्ता पेशे से वकील नहीं हैं, लेकिन उन्होंने अदालत में खुद अपनी दलीलें पेश कीं. यह याचिका मुकेश कुमार और मुकेश मानवीर सिंह नामक व्यक्तियों ने दायर की थी. अदालत ने अपने समक्ष पेश एक याचिकाकर्ता से पूछा, “ये क्या है? आप इस याचिका के जरिए क्या चाहते हैं.”
खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताने वाले याचिकाकर्ता ने बेंच से कहा कि उसने ‘एकल संवैधानिक धर्म’ की मांग कर रहे भारत के लोगों के अनुरोध पर संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत जनहित याचिका दायर की है. अदालत ने पूछा, “किस आधार पर?”
और क्या कहा अदालत ने?
बेंच ने कहा कि याचिका में 1950 के संवैधानिक आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया गया है. हालांकि इसमें यह नहीं बताया गया कि किस संवैधानिक आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया गया है. इसके बाद अदालत ने याचिका खारिज कर दी.
संविधान का अनुच्छेद 32 देश के नागरिकों को यह अधिकार देता है कि अगर उन्हें लगता है कि उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है तो वे उचित कार्यवाही के माध्यम से शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं.
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