Supreme Court On Retired Judges: सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों को रिटायर होने के बाद 2 साल तक राजनीतिक पद लेने से रोकने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (6 सितंबर) को खारिज कर दी.
कोर्ट ने कहा कि यह विषय सेवानिवृत्त जज (Retired Choose) के विवेक पर छोड़ देना चाहिए. अदालत ने आगे यह भी कहा कि इस तरह का आदेश वो नहीं दे सकता. कानून बनाना सरकार का काम है.
बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन (Bombay Legal professionals Affiliation) नाम की संस्था की याचिका में कहा गया था कि न्यापालिका की स्वतंत्रता और न्यायिक व्यवस्था में लोगों का भरोसा बनाए रखने के लिए ऐसा करना ज़रूरी है. याचिका में मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश के राज्यपाल जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर का उदाहरण दिया गया था. जस्टिस नज़ीर अयोध्या मामले (Ayodhya) पर फैसला देने वाली बेंच के सदस्य थे.
जज ने क्या कहा?
इस पर मामले की सुनवाई कर रही बेंच के अध्यक्ष जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा, “ऐसा लगता है कि आपको एक जज पर विशेष आपत्ति है.” याचिकाकर्ता के लिए पेश वकील अहमद आब्दी ने कहा कि वह न्यायपालिका के हित में अपनी बात रख रहे हैं.
इस पर जजों ने कहा कि बहुत सारे ट्रिब्यूनल ऐसे हैं, जहां कानूनन पूर्व जज ही नियुक्त हो सकते हैं. जहां तक चुनाव लड़ने या कोई राजनीतिक पद लेने का सवाल है, इस पर सुप्रीम कोर्ट कोई आदेश नहीं देगा. यह मामला संबंधित जज के विवेक पर ही छोड़ देना चाहिए.
गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों में सुप्रीम कोर्ट के 2 जज रिटायर होने के कुछ महीने बाद राज्यपाल बने हैं. जबकि एक पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई इस समय इस समय राज्यसभा के सदस्य हैं.
ये भी पढ़ें- मतदान की पुष्टि के लिए VVPAT को अपर्याप्त बता रहे याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट की सलाह – ‘इतने भी शक्की मत बनिए’