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Supreme Court Decision On Maharashtra Assembly Eknath Shinde MLAs Disqualification Case Said Speaker Sho Take Decision Before Next Election


Maharashtra MLA Disqualification: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनका समर्थन करने वाले विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसले में देरी के लिए महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को फटकार लगाई है. शुक्रवार (13 अक्टूबर) को सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यदि स्पीकर प्रक्रिया में तेजी लाने में विफल रहते है तो वह एक समयसीमा तय करेगा. कोर्ट ने इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष को दो महीने का वक़्त मुक़र्रर किया है. मामले की सुनवाई को मंगलवार तक के लिए टाल दी गई है.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को शिंदे गुट के लिए एक झटका माना जा रहा है. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की खंडपीठ ने महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा, “हम इस अदालत की गरिमा बनाए रखने के बारे में चिंतित हैं. हमारे आदेशों का पालन किया जाना चाहिए.”

विधानसभा चुनाव से पहले फ़ैसला नहीं तो कार्रवाई निरर्थक 

खंडपीठ ने कहा, “स्पीकर को अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करना चाहिए. नहीं तो उनके समक्ष लंबित याचिकाओं की सुनवाई की कोई अहमियत नहीं रह जाएगी. 

ठाकरे गुट और शरद पवार गुट की याचिका पर संयुक्त सुनवाई

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में ठाकरे गुट और शरद पवार गुट की याचिकाओं पर संयुक्त सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर और महाधिवक्ता तुषार मेहता की बातें सुनी. कोर्ट ने कहा, “14 जुलाई को हमने नोटिस निकाला. विधायकों की योग्यता पर फैसला लेने का आदेश सितंबर में जारी किया गया था. लेकिन स्पीकर ने कुछ नहीं किया. विधानसभा अध्यक्ष ने जून के बाद से कोई कार्रवाई ही नहीं की है.  कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर चुनाव से पहले निर्णय नहीं लिया गया तो विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष कार्यवाही निरर्थक होगी.

भले ही अध्यक्ष का पद संवैधानिक…

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भले ही विधानसभा अध्यक्ष का पद संवैधानिक पद है, लेकिन हम आदेश दे सकते हैं. अयोग्यता के मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए. आपको बता दें कि उद्धव ठाकरे गुट से बग़ावत कर जिन विधायकों ने एकनाथ शिंदे के साथ होकर BJP राज्य सरकार में शामिल हुए, उनके ख़िलाफ़ अयोग्यता की याचिका महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के पास लंबित है. शिवसेना (उद्धव गुट) की ओर से अध्यक्ष के पास याचिका लगायी गई थी जिस पर क़रीब 5 महीने बाद भी कोई फ़ैसला नहीं हुआ है.

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