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Shashi Tharoor slams PM Modi over statement on Jawaharlal Nehru Indira Gandhi his Last Speech in Parliament


Shahshi Tharoor Response: राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (5 फरवरी) को लोकसभा में कांग्रेस पर सियासी हमले किए. इस दौरान उन्होंने इंदिरा-नेहरू के कुछ बयानों का जिक्र भी किया. जिसके जवाब में कांग्रेस नेता शशि थरूर ने प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस नेता शशि थरूर ने प्रधानमंत्री मोदी पर एक ही भाषण को बार-बार दोहराने का आरोप लगाया.

शशि थरूर ने कहा, “प्रधानमंत्री जी एक ही भाषण बार-बार दे रहे हैं. पता नहीं उन्हें क्या हो गया हैं? वे थक गए हैं क्या? हम तो मोदी जी के भाषण देने के गुण का बहुत सम्मान करते हैं.” पीएम मोदी ने धन्यवाद प्रस्ताव पर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी को लेकर भी कटाक्ष किया.

‘कब तक नेहरू जी को लेकर बोलेंगे पीएम मोदी’
कांग्रेस नेता ने कहा, “नेहरू जी का देहांत हुए 60 साल हो गए हैं. कब तक वे (पीएम मोदी) उनको (जवाहर लाल नेहरू) लेकर भाषण देंगे.” थरूर ने पीएम मोदी के संबोधन को उनका लोकसभा का आखिरी भाषण तक कहा. उन्होंने दावा किया कि, “यह उनका लोकसभा में आखिरी भाषण था कुछ तो नया बोलना चाहिए था.”

पीएम मोदी ने नेहरू को लेकर क्या कहा था?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में कहा, ‘अगर नेहरू जी का नाम लेते हैं तो उनको (कांग्रेस) बुरा लगता है. जम्मू-कश्मीर और देश के लोगों को नेहरू जी की गलतियों की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी.’ पीएम मोदी ने चर्चा का जवाब देते हुए नेहरू के कुछ बयानों का भी उल्लेख किया. पीएम मोदी ने कहा, ‘15 अगस्त को लाल किले से प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू ने कहा था कि हिंदुस्तान में काफी मेहनत करने की आदत आमतौर से नहीं है. हम इतना काम नहीं करते जितना कि यूरोप वाले या जापान वाले या चीन वाले या रूस वाले या अमेरिका वाले करते हैं. यह नहीं समझिए कि वे कौमें किसी जादू से खुशहाल हो गईं. वे मेहनत से हुई हैं और अक्ल से हुई हैं.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘नेहरू जी की भारतीयों के प्रति सोच थी कि भारतीय आलसी हैं तथा उनकी अक्ल कम होती है.’

पीएम मोदी ने इंदिरा गांधी का भी किया जिक्र
उन्होंने इंदिरा गांधी के एक वक्तव्य का उल्लेख किया और कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री ने लाल किले से कहा था, ‘‘दुर्भाग्यवश हमारी आदत यह है कि जब कोई शुभ काम पूरा होने को होता है तो हम आत्मतुष्टि की भावना से ग्रस्त हो जाते हैं और कठिनाई आने पर नाउम्मीद हो जाते हैं. कभी तो ऐसा लगने लगता है कि पूरे राष्ट्र ने पराजय भावना को अपना लिया है.’

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