Supreme Court docket On Women Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (25 जुलाई) को स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए आरक्षण लागू नहीं करने पर केंद्र और नगालैंड सरकार को कड़ी फटकार लगाई. जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने कहा कि देश में कानून सामाजिक परिवर्तन से पहले है, जिससे विवाह और संपत्ति के अधिकार सहित कई मामलों पर प्रभाव पड़ रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से ये कहा
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा, ”हमारे देश में कानून सामाजिक परिवर्तन से पहले आता है. कानून इसे प्रोत्साहन देता है. क्या आपको लगता है कि सभी हिंदू पुरुष एक पत्नी रखने के लिए आसानी से सहमत होंगे, क्या लोग बेटियों को संपत्ति में बराबर हिस्सा देंगे?”
उन्होंने कहा, ”संविधान सभी के लिए समानता का प्रावधान करता है… हमें संविधान भी लागू करना होता है. आपने कहा कि आप इसे करेंगे, फिर पीछ हट गए. 14 वर्ष (लंबित रहना) आजीवन कारावास की सजा के समान है.”बेंच नगालैंड में स्थानीय निकाय चुनाव कराने से पहले के अपने निर्देशों में देरी से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें यह सुनिश्चित किया गया था कि 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी.
मामले से हाथ नहीं धोने देंगे- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि वह नगालैंड में आदिवासी महिलाओं के लिए स्थानीय निकाय चुनावों में आरक्षण के संवैधानिक प्रावधान के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए और ज्यादा कोशिश क्यों नहीं कर रहा है? कोर्ट ने कहा कि वह केंद्र को मामले से पीछे नहीं हटने देगा.
जस्टिस कौल ने कहा, ”यह मत कहिए कि सरकार दुविधा में है. जहां संवैधानिक प्रावधान लागू नहीं किया जा रहा है वहां आपने क्या भूमिका निभाई है? हम आपको मामले से हाथ नहीं धोने देंगे. अन्य मामलों में जहां आप राज्य सरकार के प्रति जवाबदेह नहीं हैं, आपने कार्रवाई की है लेकिन यहां तो वही पार्टी (बीजेपी) है जिसकी केंद्र सरकार है. अब केंद्र क्या करने जा रहा है?”
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