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Same Sex Marriage CJI DY Chandrachud Says Judgement On It A Vote Of Conscience And Stand By It


Same Sex Marriage Verdict: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सेम सेक्स मैरिज पर अपना फैसला सुनाया था जिसमें एक राय नहीं बनी. अब भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने सोमवार (23 अक्टूबर) को कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के हालिया समलैंगिक विवाह फैसले में अपनी अल्पमत राय पर कायम हैं.

बार और बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, सीजेआई चंद्रचूड़ ने जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी लॉ सेंटर, वाशिंगटन डीसी और सोसाइटी फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (एसडीआर), नई दिल्ली की ओर से सह-आयोजित तीसरी तुलनात्मक संवैधानिक कानून चर्चा में यह बात कही. कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अक्सर संवैधानिक महत्व के मुद्दों पर दिए गए फैसले “अंतरात्मा की आवाज” होते हैं और वह समलैंगिक विवाह मामले में अपने अल्पमत फैसले पर कायम हैं.

‘मेरे साथी मुझसे असहमत थे’

उन्होंने कहा, ”कभी-कभी यह अंतरात्मा की आवाज और संविधान का वोट होता है और मैंने जो कहा, मैं उस पर कायम हूं.” सीजेआई ने अपने फैसले की व्याख्या करते हुए कहा, “मैं अल्पमत में था जहां मेरा मानना था कि समलैंगिक जोड़े एक साथ रहने पर गोद ले सकते हैं और फिर मेरे तीन सहकर्मी इस बात पर असहमत थे कि समलैंगिक जोड़ों को गोद लेने की अनुमति न देना भेदभावपूर्ण है लेकिन इसका निर्णय तो संसद को करना था.”

कार्यक्रम में बोलते हुए, सीजेआई ने यह भी बताया कि कैसे सहमति से समलैंगिक यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के सुप्रीम कोर्ट के 2018 के फैसले के कारण समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए याचिकाएं दायर की गईं. पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सभी न्यायाधीश इस बात पर सहमत थे कि विवाह समानता लाने के लिए कानूनों में संशोधन करना संसद की भूमिका में आता है.

समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट

जहां सीजेआई और जस्टिस एसके कौल समलैंगिक संबंधों को मान्यता देने के पक्ष में थे, वहीं बेंच के बाकी तीन जजों की राय अलग थी. सुप्रीम कोर्ट ने 17 अक्टूबर को अपने फैसले में देश में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया. पांच जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मत फैसले में कहा कि शादी करना कोई मौलिक अधिकार नहीं है. शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने समलैंगिक विवाह के कानून से संबंधित फैसले को संसद के पास भेज दिया है.

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