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Ram Mandir movement 1990 a monkey sat on dome of the mosque


30 अक्टूबर, 1990 का दिन था, अयोध्या में बड़ी संख्या में कारसेवक जुटे थे. इन कार सेवकों को रोकने के लिए बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे. लेकिन इतनी सुरक्षा के बावजूद कारसेवकों ने बैरिकेड तोड़ दिए और बाबरी मस्जिद के ऊपर भगवा झंडे लगा दिए. हालांकि, कुछ देर में ही सुरक्षाकर्मियों ने कारसेवकों पर काबू पा लिया और उन्हें हटा दिया. लेकिन इसी बीच एक बंदर मस्जिद के गुंबद पर बैठ गया, बंदर एक झंडे को पकड़कर बैठा रहा. यह तस्वीर कैमरों में कैद हो गई और ‘ऐतिहासिक’ बन गई. अयोध्या में सोमवार दोपहर 12.30 बजे से 1 बजे के बीच राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी. ऐसे में हम उस तस्वीर के बारे में बताने जा रहे हैं. 

30 अक्टूबर 1990 को वीएचपी ने राम मंदिर आंदोलन के तहत कार सेवा का ऐलान किया था. हजारों लाखों की संख्या में कारसेवक अयोध्या में जुट गए थे. इन्हें रोकने के लिए करीब तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार ने 28000 सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की थी. बाबरी मस्जिद जाने वाले सभी रास्तों पर बैरिकेड लगा दिए गए थे. 

इंडिया टुडे से बातचीत में विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त महासचिव स्वामी विज्ञानानंद ने बताया कि कारसेवकों और सुरक्षाकर्मियों के बीच संघर्ष के बीच कुछ साधुओं ने बैरिकेड तोड़ दिए और सैकड़ों कारसेवक बाबरी की ओर बढ़ गए. इनमें से कुछ विवादित ढांचे के गुंबद पर चढ़ने में सफल रहे, इन कारसेवकों ने गुंबद पर भगवा झंडे लगा दिए. 

उन्होंने बताया कि इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने मोर्चा संभालते हुए लाठी चार्ज की और फायरिंग शुरू कर दी. इसके बाद कारसेवकों को पीछे हटना पड़ा. अधिकारी चाहते थे कि गुंबद से भगवा झंडे हटा दिए जाएं, लेकिन इस दौरान अनोखी स्थिति का सामना करना पड़ा. 

स्वामी विज्ञानानंद के मुताबिक, अधिकारियों ने देखा कि तभी एक बंदर मस्जिद की गुंबद पर बैठ गया. वह भगवा झंडे को पकड़े हुए था. पुलिस कर्मियों ने बंदर को भगवान हनुमान का अवतार मानते हुए उसे परेशान न करने का फैसला किया. स्वामी विज्ञानानंद ने बताया कि कई घंटों तक बंदर गुंबद पर झंडा पकड़े बैठा रहा. जब रात में बंदर उस जगह से हट गया, तब तीन चार जवानों ने गुंबद पर चढ़कर झंडे को उतारा. यह तस्वीर 1 नवंबर 1990 को कई अखबारों में छपी थी. 1992 की कारसेवा के दौरा बाबरी मस्जिद की गुंबद पर एक बंदर को बैठा देखा गया. 

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 30 अक्टूबर और 2 नवंबर को हुई फायरिंग में 20 लोगों की मौत हुई थी. हालांकि, चश्मदीदों का दावा है कि मरने वालों की संख्या ज्यादा थी. 

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