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Ram Mandir Inauguration Swami Avimukteshwaranand Saraswati On Champat Rai Says Ramanand Sampraday Acharya Not Invited For Ramlala Pran Pratishta


अयोध्या (Ayodhya) में बने नए राम मंदिर (Ram Mandir Inauguration) के 22 जनवरी को उद्घाटन के लिए देशभर में जश्न का माहौल है, लेकिन चार पीठ के शंकराचार्य समारोह में शामिल नहीं होंगे. शंकराचार्यों का तर्क है कि मंदिर के उद्घाटन और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में शास्त्रीय विधा का पालन नहीं किया जा रहा. इस बीच श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के बयान पर भी शंकराचार्यों ने नाराजगी जताई है. चंपता राय ने कहा था कि राम मंदिर रामानंद संप्रदाय का है, शैव, शाक्त और संन्यासियों का नहीं. इस पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद स्वामी ने बड़ा दावा किया है. उनका कहना है कि 6 हजार लोगों को आमंत्रित करने की बात की जा रही है, लेकिन रामानंद संप्रदाय के सबसे बड़े आचार्य जगद्गुरु रामानंदाचार्य को ही निमंत्रण नहीं भेजा गया है.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद स्वामी ने चंपत राय के बयान पर नाराजगी जताते हुए यह भी कहा कि मंदिर सभी है. उन्होंने कहा कि इतने ऊंचे पद पर बैठा व्यक्ति ही जब समाज में विभाजन की बात कर रहा है तो उसका तो संज्ञान लिया जाना चाहिए और उन्हें पद से हटा दिया जाना चाहिए.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, ‘रामानंद संप्रदाय के सबसे बड़े आचार्य को नहीं किया गया आमंत्रित’
एबीपी लाइव से बात करते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद स्वामी ने कहा, ‘रामानंद संप्रदाय के जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य जी महाराज हैं, काशी में उनका मुख्य मठ है श्रीमठ. वह रामानंद संप्रदाय के सबसे बड़े आचार्य माने जाते हैं. उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि के लिए बहुत प्रयास किए हैं और उनके जो पूर्वाचार्य थे, श्री शिवरामाचार्य जी महाराज राम जन्मभूमि आंदोलन के लिए बनाए गए राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष थे. उन्हीं के सानिध्य में यह सब आरंभ हुआ था. स्वामी रामनरेशाचार्य जी महाराज उन्हीं के उत्तराधिकारी हैं और बहुत बड़े विद्वान और प्रतिभाशाली व्यक्ति हैं और सभी का समन्वय करके चलते हैं.’

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, ‘हमने उनके यहां फोन करके पता करवाया कि आपकी क्या भूमिका है वहां चंपत राय जी कह रहे हैं कि राम मंदिर रामानंद संप्रदाय का है तो पता चला कि उनको तो निमंत्रण भी नहीं मिला है. जब से मंदिर बन रहा है तब से उनसे परामर्श भी नहीं किया गया. अब रामानंद संप्रदाय के सबसे बड़े आचार्य को निमंत्रण भी नहीं दिया गया है. आप दुनियाभर के लोगों को आमंत्रित कर रहे हैं. 6 हजार लोगों को आमंत्रित करने की बात कर रहे हैं.’

शंकराचार्य बोले, हिंदू समाज को तोड़ने की बात कर रहे हैं
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद स्वामी ने आगे कहा कि रामानंद संप्रदाय कहीं मंगल ग्रह से आया हुआ संप्रदाय नहीं है. वो हमारा ही संप्रदाय है और हमारे हिंदू धर्म और सनातन धर्म का अंग है. संप्रदाय भले हमारे अलग-अलग हैं, लेकिन शास्त्र सबके एक ही हैं. वेद हमारा सबका एक है. शास्त्रों में भेद नहीं है. उन्होंने कहा, ‘यह संप्रदायों की लड़ाई नहीं है. संप्रदायों ने ही हमसे अनुरोध किया था जब राम जन्मभूमि का मुकदमा चल रहा था तो पार्टी बनकर हम पैरवी करते थे और उसमें गवाही भी हमारी हुई है, निर्णय में भी उल्लेख किया गया है. रामानंद संप्रदाय अगर हमसे अलग होता और भगवान राम हमारे आराध्य नहीं होते. तो रामानंद संप्रदाय से हमारी कोई समस्या नहीं है. जब चंपत राय का बयान हमने सुना तो हमने कहा कि हमें कोई दिक्कत नहीं आप रामानंद संप्रदाय को दे दीजिए, आप खुद क्यों बैठ हैं.’  

चंपत राय को पद से हटाने की भी कही बात
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद स्वामी ने चंपत राय के बयान को लेकर यह भी कहा कि कितनी निर्लज्जता की बात है कि हिंदू समाज को आप संप्रदायों के टुकड़ों-टुकड़ों में बांट रहे हैं. आप कह रहे हैं के मंदिर शाक्तों का नहीं है, शैवों का नहीं है, संन्यासियों का नहीं है, क्यों नहीं है भाई. मंदिर तो सबका है. ऐसे जिम्मेदार पद पर बैठा व्यक्ति जब समाज के ही टुकड़े-टुकड़े करने की बात करता है तो उसका तो संज्ञान लिया जाना चाहिए. ऐसे व्यक्ति को या तो चुप करा देना चाहिए, या तो पद से हटाना चाहिए, लेकिन ना तो वह खुद पद से हटा और ना ही किसी ने उसको पद से हटाया.

अयोध्या में राम मंदिर का 22 जनवरी को उद्घाटन है, जिसके लिए देश-विदेश से बड़ी हस्तियों को आमंत्रित किया गया है. हालांकि, चारों पीठ के शंकराचार्यों ने उद्घाटन में आने से मना कर दिया है. उनका कहना है कि मंदिर का निर्माण पूरा किए बिना वहां रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करना शास्त्रों का उल्लंघन है. उनका कहना है कि इस तरह मूर्ति में बुरी चीजें प्रवेश कर जाती हैं और उस क्षेत्र को नष्ट कर देती हैं.

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