Rajya Sabha Election: राज्यसभा की 56 सीटों के लिए नामांकन की प्रक्रिया गुरुवार (15 फरवरी) को समाप्त हो गई. महाराष्ट्र की छह सीटों के लिए सात नामांकन दाखिल किए गए. बीजेपी ने अशोक चव्हाण, अजित गोपछड़े, मेधा कुलकर्णी को उम्मीदवार बनाया गया है. वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से प्रफुल्ल पटेल, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना से मिलिंद देवड़ा को मैदान में उतरा है. कांग्रेस ने चंद्रकांत हंडोरे को राज्यसभा भेजने का फैसला किया है.
जानकारी के मुताबिक बीजेपी ने उम्मीदवारों के लिए कई नामों पर चर्चा की थी. इनमें विनोद तावड़े, पंकजा मुंडे, माधव भंडारी और हर्षवर्द्धन पाटिल शामिल हैं. इस बार भी पार्टी ने माधव भंडारी के नाम पर चर्चा तो की, लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया. इससे उनके माधव भंडारी के बेटे चिन्मय भंडारी निराश हो गए. यह 12वां मौका है, जब भंडारी को राज्यसभा में भेजने के लिए उनके नाम पर विचार किया गया हो.
‘1975 में जन संघ में हुए शामिल’
इसको लेकर उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट लिखी. इसमें उन्होंने कहा, “यह बेहद पर्सनल पोस्ट है और यह मेरे व्यक्तिगत विचार भी हैं. बहुत से लोग नहीं जानते कि मैं हूं मैं माधव भंडारी का बेटा हूं. आज मैं अपने पिता के बारे में लिखना चाहता हूं. मेरे पिता 1975 में जनसंघ/जनता पार्टी में शामिल हुए थे और 1980 में बीजेपी बनने से कुछ साल पहले वह लगभग 50 साल हो गए.”
It is a deeply private publish, and it’s my private thought course of.
Not many know that I’m @Madhavbhandari_ (Madhav Bhandari, Vice President of BJP Maharashtra) son.
At the moment, I wish to write about my father.
My father joined the Jansangh/Janata Party in 1975, a couple of years… pic.twitter.com/SHMzOtwFHn
— Chinmay Bhandari (@iTsChinmay) February 15, 2024(*12*)संगठन बनाने में की मदद
उन्होंने कहा कि इन 50 साल में उन्होंने कई भूमिकाओं में महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में संगठन बनाने में मदद की है. उन्होंने (माधव भंडारी) राज्य भर में हजारों लोगों और सैकड़ों गांवों की मदद की है. उन्होंने लाखों लोगों को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है. उन्होंने 2014 के बाद पार्टी और पार्टी की सरकार के सामने आने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.चिन्मय भंडारी ने आगे कहा, “मैंने अपने जीवन में 12 बार उनका नाम पर विधानसभा या राज्यसभा के लिए चर्चा होती देखी है और एक बार उनके नाम पर मुहर नहीं लगाई गई. मैं नेतृत्व पर सवाल उठाने या आलोचना करने की स्थिति में नहीं हूं. मैं ऐसा करना भी नहीं चाहता क्योंकि अपने पिता की तरह मैं भी उन पर विश्वास करता हूं.”
उन्होंने आशा जताते हुए कहा, “मैं बस किसी ऐसे व्यक्ति के लिए उचित पुरस्कार की आशा कर रहा हूं, जो इसका हकदार है. मैं जानता हूं कि उनके जैसे और भी लोग हैं, जिन्होंने पार्टी के लिए और समाज की भलाई के लिए अथक और निस्वार्थ भाव से काम किया है. मैं उनके लिए भी सर्वोत्तम की आशा करता हूं.”यह भी पढ़ें- कभी बेची सब्जी अब जाएंगे राज्यसभा! अमरपाल मौर्य बोले- अंदाजा ही नहीं था, अचानक आया फोन

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