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Rajasthan Assembly Elections 2023 Dhundhar Politics And How Political Equation Change Here


Rajasthan Election 2023 Information: ढूंढाड़ को राजस्थान की सत्ता का केंद्र माना जाता है. इस क्षेत्र ने राज्य को दो मुख्यमंत्री (हीरा लाल शास्त्री और टीका राम पालीवाल) दिए हैं. हर चुनाव में इस क्षेत्र का काफी महत्व रहता है. राजनीतिक एक्सपर्ट की मानें तो ढूंढाड़ क्षेत्र में हमेशा से कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर रही है. इस विधानसभा चुनाव में भी कमोबेश यही स्थिति है.

राजस्थान के पूर्व-मध्य भाग में स्थित इस क्षेत्र में जयपुर, दौसा, टोंक और सवाई माधोपुर जिले आते हैं. पहले ढूंढाड़ क्षेत्र में विधानसभा की 25 सीटें आती थीं, लेकिन परिसीमन के बाद अब यह संख्या 32 है. पिछले दो चुनाव में यहां सीधा मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही नजर आया है. आइए जानते हैं इस क्षेत्र का राजनीतिक समीकरण और कैसे यहां जाति और शाही परिवार नतीजों को प्रभावित करते हैं.

अहम रहा है यहां जाति फैक्टर

पुराने नतीजों और राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक, ढूंढाड़ का शहरी इलाका बीजेपी का गढ़ रहा है. पार्टी ने खास तौर पर जयपुर में आने वाली सीटों पर अच्छी पकड़ बनाई है. हालांकि पिछले चुनाव में कांग्रेस यहां मजबूत रही. ढूंढाड़ में बनिया, राजपूत और ब्राह्मण हमेशा बीजेपी के साथ रहे हैं. इसके अलावा यहां एससी/एसटी समुदायों का भी दबदबा है. यही वजह है कि इस क्षेत्र ने नमो नारायण मीना, कुंजी लाल, जसकौर मीना, कैलाश मेघवाल और खिलाड़ी बैरवा जैसे नेता दिए हैं.

इस क्षेत्र के कई निर्वाचन क्षेत्रों में गुर्जर समुदाय की भी संख्या अच्छी खासी है. राजनीतिक एक्सपर्ट कहते हैं कि 2018 के चुनाव में गुर्जरों की ओर से पार्टी के पक्ष में एकतरफा मतदान हुआ था और यही वजह थी कि कांग्रेस ने इस क्षेत्र में जीत हासिल की. हालांकि इस बार ऐसा होना इतना आसान नहीं है. बताया जा रहा है कि सचिन पायलट के सीएम न बनाए जाने से गुर्जर वोटर कांग्रेस से नाराज हैं.

जयपुर राजघराने का प्रभाव

ढूंढाड़ में जाति के बाद सबसे ज्यादा प्रभाव जयपुर राजघराने का भी रहा है. पूर्ववर्ती जयपुर राजपरिवार ने इस एरिया को बहुत कुछ दिया है. गायत्री देवी परिवार ने राज्य सचिवालय, विधानसभा, एसएमएस अस्पताल के साथ-साथ महाराजा और महारानी कॉलेजों की भी स्थापना की. 1962 से पहले इस क्षेत्र में कांग्रेस का वर्चस्व था, लेकिन गायत्री देवी के नेतृत्व में स्वतंत्र पार्टी के उदय के साथ कांग्रेस ने इस एरिया से अपनी पकड़ खो दी.  इस बार, पूर्ववर्ती जयपुर राजपरिवार अपने गृह क्षेत्र में वापस आ गया है और भाजपा ने विद्याधर नगर निर्वाचन क्षेत्र से राजसमंद सांसद दीया कुमारी को मैदान में उतारा है.

पिछले चुनाव में कांग्रेस ने बदले समीकरण

2008 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यहां 11 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस के खाते में 13 सीट आई थी. निर्दलीय उम्मीदवारों ने 5, बहुजन समाज पार्टी ने 2 और लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी ने 1 सीट पर जीत दर्ज की थी. इसके बाद 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इस क्षेत्र में 28 सीटें जीतीं, नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने दो सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस और निर्दलीय को एक-एक सीट मिली. 2018 में कांग्रेस ने जोरदार वापसी करते हुए यहां की 20 विधानसभा सीटों पर कब्जा किया, जबकि भाजपा और स्वतंत्र उम्मीदवारों को 6-6 सीट पर जीत मिली.

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