PM Modi Chitrakoot Tulsi Peeth Speech: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार (27 अक्टूबर) को कहा कि अयोध्या में राम मंदिर जल्द ही बनकर तैयार हो जाएगा. उन्होंने इसके निर्माण में हिंदू आध्यात्मिक धर्मगुरु जगद्गुरु रामभद्राचार्य के योगदान की सराहना की. इससे पहले मध्य प्रदेश पहुंचे पीएम मोदी ने सतना जिले के चित्रकूट में प्रसिद्ध रघुबीर मंदिर में पूजा-अर्चना की.
मध्य प्रदेश के चित्रकूट में जगद्गुरु रामभद्राचार्य की तुलसी पीठ में एक सार्वजनिक समारोह में बोलते हुए मोदी ने देश में संस्कृत भाषा को मजबूत करने के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए कहा, “संस्कृत न केवल परंपराओं की भाषा है, बल्कि यह हमारी प्रगति और पहचान की भी भाषा है.”
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक पीएम मोदी ने कहा कि पूरे दिन मुझे अलग-अलग मंदिरों में प्रभु श्रीराम के दर्शन का अवसर मिला और संतों का आशीर्वाद भी मिला. खासकर जगद्गुरू रामभद्राचार्य का जो स्नेह मुझे मिलता है, वो अभीभूत कर देता है.
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने जगद्गुरू की पुस्तकों का विमोचन भी किया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अष्टाध्यायी भारत के भाषा विज्ञान का, भारत की बौद्धिकता का और हमारी शोध संस्कृति का हजारों साल पुराना ग्रंथ है. कैसे एक-एक सूत्र में व्यापक व्याकरण को समेटा जा सकता है, कैसे भाषा को ‘संस्कृत विज्ञान’ में बदला जा सकता है. महर्षि पाणिनी की ये हजारों वर्ष पुरानी रचना इसका प्रमाण है.
प्रधानमंत्री ने अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेने के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा दिए गए आमंत्रण का उल्लेख करते हुए कहा, “जिस राम मंदिर के लिए आपने ( जगद्गुरु रामभद्राचार्य ) अदालत के अंदर और बाहर इतना योगदान दिया है, वह भी तैयार होने जा रहा है.”
‘नई भाषाओं ने पुरानी की जगह ली, संस्कृत प्रदूषित नहीं हुई’
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि दुनिया में इन हजारों सालों में कितनी ही भाषाएं आईं और चली गईं. नई भाषाओं ने पुरानी भाषाओं की जगह ले ली, लेकिन हमारी संस्कृत आज भी अटल है.प्रधानमंत्री ने संबोधन में कहा कि केवल 14 माहेश्वर सूत्रों पर टिकी ये भाषा हजारों वर्षों से शस्त्र और शास्त्र, दोनों ही विधाओं की जननी रही है. संस्कृत भाषा में ही ऋषियों के ओर से वेद की ऋचाएं प्रकट हुई हैं.
मनीषियों ने आयुर्वेद का सार लिखा
उन्होंने कहा कि इसी भाषा में पतंजलि की तरफ से योग का विज्ञान प्रकट हुआ है. इसी भाषा में धन्वंतरि और चरक जैसे मनीषियों ने आयुर्वेद का सार लिखा है. इसी भाषा में कृषि पाराशर जैसे ग्रन्थों ने कृषि को श्रम के साथ-साथ शोध से जोड़ने का काम किया.
संस्कृत भाषा में हमें भरतमुनि की ओर से नाट्यशास्त्र और संगीतशास्त्र का उपहार मिला है. इस भाषा में कालिदास जैसे विद्वानों ने साहित्य के सामर्थ्य से विश्व को हैरान किया है और इसी भाषा में अंतरिक्ष विज्ञान, धनुर्वेद और युद्ध-कला के ग्रंथ भी लिखे गए हैं.
‘चित्रकूट विकास की नई ऊंचाइयों को छूएगा’
उन्होंने उस गुलामी की मानसिकता की ओर इशारा करते हुए कहा कि मातृभाषा को जानना विदेशों में सराहनीय माना जाता है, लेकिन यही बात भारत में मान्य नहीं है. प्रधानमंत्री ने यह भी विश्वास जताया कि चित्रकूट विकास की नई ऊंचाइयों को छूएगा.
उन्होंने कहा कि तुलसी पीठ, चित्रकूट में एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान है, जिसकी स्थापना 1987 में जगद्गुरु रामभद्राचार्य द्वारा की गई थी और यह हिंदू धार्मिक साहित्य के अग्रणी प्रकाशकों में से एक है.
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