No-Confidence Motion: मोदी सरकार को एक बार फिर मणिपुर हिंसा मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ रहा है. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की तरफ से सदन में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रखा गया. जिसके बाद अब इस पर चर्चा हो रही है. हालांकि नंबर गेम को अगर देखें तो पिछली बार की ही तरह इस बार भी विपक्ष काफी पीछे नजर आ रहा है. हालांकि इस अविश्वास प्रस्ताव को विपक्षी दलों की एक सोची-समझी रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है.
2018 में लाया गया था अविश्वास प्रस्ताव
मौजूदा अविश्वास प्रस्ताव की बात करें, उससे पहले साल 2018 में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के बारे में आपको बताते हैं, जब विपक्ष महज 126 के संख्याबल के साथ था और सरकार के पक्ष में कुल 325 वोट पड़े थे. उस दौरान सदन में इस प्रस्ताव पर करीब 12 घंटे की लंबी बहस चली थी. तब बताया गया था कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव की रणनीति के तहत ये प्रस्ताव लाया गया, इसमें विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश की गई थी, साथ ही ताकत का अंदाजा भी लगाया गया.
मणिपुर पर बवाल के बीच सरकार को घेरने की कोशिश
अब 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों ने मिलकर INDIA गठबंधन तैयार किया है, जिसे बीजेपी के खिलाफ चुनावों में एक बड़े हथियार के तौर पर देखा जा रहा है. अब मौजूदा विवाद की बात करें तो संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले मणिपुर हिंसा का एक वीडियो सामने आया, जिसमें दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराई गई. इस मामले को लेकर विपक्षी दलों ने संसद में जमकर हंगामा किया और प्रधानमंत्री मोदी से बयान देने की मांग की. हालांकि पीएम मोदी ने संसद में बयान नहीं दिया.
प्रधानमंत्री को बयान देने के लिए मजबूर करने के लिए विपक्षी दलों की तरफ से संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया. जिसके बाद अब इस पर चर्चा के दौरान पीएम मोदी अपना भाषण दे सकते हैं. ये मोदी सरकार के खिलाफ लाया गया दूसरा अविश्वास प्रस्ताव है. कुल मिलाकर इस बार विपक्ष मणिपुर के मुद्दे को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा करना चाहती है. साथ ही अगर पीएम मोदी इस पर बयान देते हैं तो विपक्षी दल इसे अपनी एक बड़ी कामयाबी के तौर पर जनता के सामने पेश कर सकते हैं.
क्या कहते हैं मौजूदा आंकड़े
अब अगर मौजूदा आंकडों की बात करें तो विपक्ष पिछले अविश्वास प्रस्ताव के मुकाबले और ज्यादा पीछे नजर आ रहा है. लोकसभा में मौजूदा संख्याबल की बात करें तो वो फिलहाल 538 है. यानी बहुमत का आंकड़ा 270 का होगा. अकेले बीजेपी के पास ही 300 से ज्यादा सीटें हैं. ऐसे में सीधे-सीधे यहां सरकार को कोई भी खतरा दिखाई नहीं देता है.
अब एनडीए के कुल सदस्यों की बात करें तो कुल सांसदों की संख्या 333 तक पहुंचती है. इसके अलावा हाल ही में राज्यसभा से पास हुए दिल्ली विधेयक पर नवीन पटनायक की बीजू जनता दल और जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस ने भी सरकार का साथ दिया है. वहीं विपक्षी दलों के पास लोकसभा में 142 का संख्याबल है. ऐसे में विपक्षी दलों का INDIA नंबर गेम में NDA से काफी ज्यादा दूर है.
क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव?
जब विपक्षी दलों को लगता है कि सरकार के पास सदन में बहुमत नहीं है, या फिर सरकार सदन में विश्वास खो चुकी है तो अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है. इस प्रस्ताव के लिए कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन जरूरी होता है. प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद सरकार को साबित करना होता है कि उसे सदन में बहुमत हासिल है. सरकार के बहुमत साबित करने पर अविश्वास प्रस्ताव गिर जाता है, इसके उलट अगर सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाई तो सरकार गिर जाती है.
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