EC on One Nation One Election: देश में ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ कराए जाने को लेकर बहस जारी है. इस बीच सूत्रों ने बताया है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए चुनाव आयोग को 30 लाख इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) की जरूरत होगी. साथ ही बेहतर तरीके से चुनाव कराने की तैयारियों में कम से कम करीब डेढ़ साल का समय लगने की अनुमान जताया गया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, चुनाव आयोग के सूत्रों ने बृहस्पतिवार को इस बाबत जानकारी देते हुए कहा कि एक ईवीएम में एक कंट्रोल यूनिट, कम से कम एक बैलेट यूनिट और एक वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) यूनिट होती है. इसलिए आयोग को एक साथ चुनाव कराने के लिए करीब 30 लाख कंट्रोल यूनिट, लगभग 43 लाख बैलेट यूनिट और लगभग 32 लाख वीवीपैट की जरूरत होगी. वहीं, लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए करीब 35 लाख वोटिंग यूनिट (कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट और वीवीपैट यूनिट) की कमी है.
सूत्रों के मुताबिक वन नेशन वन इलेक्शन के लिए उसको इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को रखने के लिए पर्याप्त स्टोरेज सुविधाओं की भी आवश्यकता होगी. लॉ कमीशन एक साथ इलेक्शन कराने की योजना पर एक रिपोर्ट भी तैयार कर रहा है. ऐसे में उसने चुनाव आयोग के साथ उसकी जरूरतों और चुनौतियों पर भी बातचीत की थी.
‘लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने को चाहिए इतनी ईवीएम’
सूत्रों का कहना है कि कुछ राज्यों में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते हैं, तो वोटर दो अलग-अलग ईवीएम में वोटिंग करता है. पिछले लोकसभा चुनाव की बात करें तो इसमें 12.50 लाख वोटिंग सेंटर थे. आयोग को अब 12.50 लाख वोटिंग सेंटरों के लिए करीब 15 लाख कंट्रोल यूनिट, 15 लाख वीवीपैट यूनिट और 18 लाख बैलेट यूनिट की आवश्यकता है.
कितनी लागत?
इन यूनिट्स की लागत के बारे में अभी कोई आधिकारिक अनुमान उपलब्ध नहीं है लेकिन पिछली पर्चेजिंग दरों के हिसाब से एक करोड़ यूनिट के लिए कुल लागत 15,000 करोड़ रुपए से अधिक हो सकती है. इसमें वीवीपैट यूनिट्स के लिए 6,500 करोड़ रुपये से अधिक भी शामिल हैं. आयोग का कहना है कि अगर लोकसभा और विधानसभा चुनावों के साथ स्थानीय निकाय चुनाव भी कराए जाएंगे तो लागत और भी बढ़ सकती है.
कमेटी की बैठक
पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर हाई लेवल कमेटी गठित की गई थी. यह कमेटी संविधान और अन्य वैधानिक प्रावधानों के तहत मौजूदा ढांचे के मद्देनजर लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए एक साथ चुनाव कराने की जांच कर रही है. इस कमेटी की बैठक बुधवार (26 अक्टूबर) को भी हुई.
‘दो पीएसयू को करना होता है पहले सूचित’
सूत्रों के मुताबिक, चुनाव आयोग ने विधि आयोग के साथ अपनी बातचीत में ईवीएम के लिए अधिक स्टोरेज सुविधाओं की जरूरत जैसी चुनौतियों को भी लिस्टेड करवाया है. आयोग का कहना है कि ईवीएम निर्माण करने वाली दो सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) – इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को भी इस मामले में पहले से सूचित करने की आवश्यकता होगी.
‘ईवीएम एफएलसी के लिए भी चुनाव आयोग को चाहिए समय’
उन्होंने बताया कि चुनाव से पहले चुनाव आयोग को ईवीएम की प्रथम-स्तरीय जांच (एफएलसी) के लिए भी समय की आवश्यकता होती है. चुनाव आयोग ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए देशभर में चरणबद्ध तरीके से एफएलसी पहले ही शुरू कर दी है.
वीवीपैट सहित ईवीएम की मैकेनिकल कमियों की जांच करते हैं इंजीनियर
एफएलसी के दौरान बीईएल और ईसीआईएल के इंजीनियरों की ओर से वीवीपैट सहित ईवीएम, मशीनों की मैकेनिकल कमियों की जांच भी की जाती है. इस दौरान त्रुटिपूर्ण मशीनों को मरम्मत या फिर रिप्लेसमेंट के लिए मैन्युफैक्चरर्स के पास वापस भेजा जाता है. इस तरह की दोनों मशीनों की जांच के लिए राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में एक मॉक पोल भी आयोजित की जाती है.
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