Parliament Session 2024: 18वीं लोकसभा का सत्र जारी है. सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सियासी खींचतान भी देखने को मिल रही है. हालांकि, विपक्ष की ओर से सदन में माइक बंद करने का मुद्दा उठाया जा रहा है. राहुल गांधी से लेकर विपक्ष के कई नेताओं ने आरोप लगाया है कि उनका माइक बंद किया गया है.
वहीं, लोकसभा स्पीकर की ओर से इस मामले में सफाई भी दी जा चुकी है और कहा गया कि किसी का माइक करने का अधिकार मेरे पास नहीं है. ऐसे में आपको बताते हैं कि सदन में माइक बंद और ऑन करने का अधिकार किसके पास होता है.
कौन करता है माइक बंद?
जानकारी के मुताबिक, संसद के भीतर जो माइक लगा होता है उसका पूरा कंट्रोल एक ऑडियो सेक्शन के पास होता है, जिसमें स्पेशलिस्ट लोग बैठे होते हैं, जिनका काम होता है कि वह यह देखें की किसको चेयर की तरफ से बोल की अनुमति दी गई है, सिर्फ उसी का माइक ऑन रहे और बाकी लोगों का ऑफ किया जाता है. चेयर जिस भी वक्ता को बोलने की अनुमति देता है, उसका माइक ऑन कर दिया जाता है और बाकी सारे माइक ऑफ यानी एक वक्त पर सदन में एक ही माइक ऑन रहता है.
अगर कोई दूसरा सांसद बोलता है तो…
एक वक्ता के बोलने के दौरान अगर कोई दूसरा व्यक्ति बोलना चाहता है और वह चेयर से अनुमति लेता है तो जो वक्ता बोल रहा होता है. उसका माइक ऑफ करके दूसरे वक्ता का ऑन कर दिया जाता है और जब दूसरे वक्ता की बात पूरी होती है तो फिर पहले वाले वक्ता का माइक ऑन हो जाता है.
ऑडियो सेक्शन के स्पेशलिस्ट के पास होता है कंट्रोल
किसी दौरान जब सदन में हंगामा हो रहा होता है तो पूरे सदन के माइक ऑफ कर दिए जाते हैं, सिर्फ चेयर का माइक की ऑन होता है और वह भी ऑन और ऑफ करने का काम ऑडियो सेक्शन के स्पेशलिस्ट ही करते हैं.
कई बार यह भी होता है कि चेयर की तरफ से कोई बात कही जानी होती है तो ऑडियो सेक्शन के स्पेशलिस्ट इसका अंदाजा लगाते हुए जो वक्ता सांसद होता है उसका माइक पहले ही ऑफ कर देते हैं. इसी के चलते कभी कभी ऐसे हालात बन जाते हैं जब वक्ता का माइक बोलते बोलते बंद हो जाता है.
कैसे लेता हैं फैंसला?
इसके साथ ही कभी-कभी ऑडियो स्पेशलिस्ट के ध्यान हटने या गलत बटन दबने से भी वक्ता का ऑडियो बंद हो जाता है. लेकिन कुल मिलाकर सदन के अंदर माइक बंद करने और जारी रखने का निर्देश ऑडियो स्पेशलिस्ट इस आधार पर लेते हैं कि किस सांसद को चेयर की तरफ से बोलने की अनुमति मिली हुई है.