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Nuh web Ban: हरियाणा के नूंह जिले में दो सप्ताह बाद इंटरनेट सेवा बहाल कर दी गई है. जिले में 31 जुलाई को एक धार्मिक शोभा यात्रा के दौरान हिंसा भड़क गई थी, जिसके बाद प्रशासन ने इंटरनेट को बंद कर दिया था. अब इसे फिर से शुरू कर दिया गया है. हालांकि, प्रशासन की तरफ से सोशल मीडिया पर निगरानी जारी रहेगी.
नूंह में 31 जुलाई को शोभा यात्रा को रोकने की कोशिश के बाद जमकर हिंसा हुई थी, जिसकी आग पड़ोस के जिलों तक भी पहुंची थी. हिंसा में दो होमगार्ड के जवान और एक मौलवी समेत 6 लोगों की मौत हुई थी. हिंसा को भड़कने से रोकने के लिए प्रशासन ने मोबाइल इंटरनेट, एसएमएस और ब्रॉडबैंड सेवाओं पर रोक लगा दी गई थी. हिंसी की वजह से स्कूल कॉलेज भी बंद कर दिए गए थे और कर्फ्यू लगा दिया गया था.
कर्फ्यू में दी जाएगी ढील
इंटरनेट पर बैन हटाने के साथ ही प्रशासन ने जिले लागू कर्फ्यू में भी ढील देने का फैसला किया गया है. 31 जुलाई से ही नूंह में कर्फ्यू लागू था. स्वतंत्रता दिवस को देखते हुए 14 और 15 अगस्त को सुबह 6 बजे से शाम 8 बजे तक कर्फ्यू में ढील दी जाएगी.
फिर यात्रा शुरू करने की तैयारी
नूंह में हुई हिंसा को लेकर इधर रविवार (13 अगस्त) को पड़ोसी जिले पलवल में हिंदू महापंचायत का आयोजन किया गया. पहले ये महापंचायत नूंह में प्रस्तावित थी, लेकिन प्रशासन ने वहां पर इसे अनुमति नहीं दी, जिसके बाद इसे पलवल के पोंडरी में आयोजित किया गया. प्रशासन ने महापंचायत में सिर्फ 500 लोगों को शामिल होने की अनुमति दी थी, लेकिन इसमें 5000 से अधिक लोग शामिल हुए.
पुलिस की तरफ से किसी भी तरह का भड़काऊ या नफरत फैलाने वाले बयानों पर रोक लगाई गई है, लेकिन हिंदू महापंचायत में इसकी भी अवहेलना की गई. खुलेआम भड़काऊ बोल बोले गए. पंचायत में कहा गया कि ‘तुम उंगली उठाओगे तो हम हाथ काट देंगे. उन्हें यही भाषा समझ में आती है. ये मेवात को शरिया के हिसाब से चलाना चाहते हैं. अल्लाहु अकबर के नारे लग रहे थे. यदि वे एक मारे तो तुम 5 मारो. यही समस्या का समाधान है.’
इसके साथ ही महापंचायत में एक बार फिर से ब्रजमंडल यात्रा को शुरू करने का फैसला किया गया. यात्रा को 28 अगस्त को पूरी करने पर महापंचायत में सहमति बनी.
नूंह जिले को खत्म करने की मांग
महापंचायत में मांग की गई कि मांग नूंह जिले को खत्म कर दिया जाए. इस इलाके को गौ हत्या मुक्त घोषित करने की मांग के साथ ही निर्दोष लोगों को रिहा करने को कहा गया. इसके साथ ही मांग उठाई गई कि एनआईए से नूह हिंसा की जांच कराई जाए. दंगों में जो लोग मारे गए उनके परिवार को 1 करोड़ का मुआवजा और 1 सदस्य को सरकारी नौकरी मिले. घायलों के परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा मिले.
हथियार रखने की हुई बात
हरियाणा गौ रक्षक दल के नेता आचार्य आजाद शास्त्री ने इस दौरान फिर से हिंसा भड़काने वाला बयान दिया. उन्होंने कहा ये ‘करो या मरो’ की स्थिति है और युवाओं से हथियार उठाने की अपील की. शास्त्री ने कहा, हमें तुरंत मेवात में 100 हथियारों का लाइसेंस लेना सुनिश्चित करना चाहिए, बंदूकों का नहीं, बल्कि राइफलों का, क्योंकि राइफलें लंबी दूरी तक फायरिंग कर सकती हैं. यह करो या मरो की स्थिति है. इस देश का विभाजन हिंदू और मुसलमानों के आधार पर हुआ था. यह गांधी के कारण ही था कि ये मुसलमान मेवात में रुके रहे.
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