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No Confidence Motion Debate NDA BJP Numbers In Lok Sabha In Favor Of Modi Government See Details


No Confidence Motion: लोकसभा में मंगलवार (8 अगस्त) को मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा शुरू हो चुकी है. अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में 16 घंटे का समय तय किया गया है. पहले यह 12 घंटे था, जिसे बाद में बढ़ाया गया. अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के पहले आइए जानते हैं लोकसभा में वोटों का गणित क्या है और मोदी सरकार के लिए ये अविश्वास प्रस्ताव कितना मुश्किल है. 2024 के चुनाव से पहले इस टेस्ट में क्या मोदी सरकार पास होगी?

वर्तमान में लोकसभा में 538 सदस्य हैं. यानी सरकार को बहुमत सिद्ध करने के लिए 270 सांसदों के वोट की जरूरत होगी. अभी की बात करें तो मोदी सरकार के पास अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ 365 सांसदों का समर्थन है, जबकि अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में विपक्ष के पास सिर्फ 165 सांसदों का वोट है. 18 सांसदों के बारे में अभी तय नहीं है कि वे किसे वोट करेंगे.

अगर पास हुआ प्रस्ताव तो क्या होगा?

अविश्वास प्रस्ताव पास होने का मतलब है कि सत्ताधारी दल के पास सरकार के चलाने के लिए जरूरी बहुमत नहीं है. अर्थात विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाता है तो मोदी सरकार समेत पूरे मंत्रिमंडल को इस्तीफा देना होगा. इसके बाद नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू होगी. हालांकि, ऊपर दिए गए नंबर बता रहे हैं कि ऐसा नहीं होने वाला है और मोदी सरकार को कोई खतरा नहीं है.

हार निश्चित तो विपक्ष क्यों लाया प्रस्ताव?

लोकसभा में सीटों के नंबर गेम से साफ है कि विपक्ष का यह अविश्वास प्रस्ताव गिरने जा रहा है. सवाल ये है कि विपक्ष ये जानने के बाद भी इसे क्यों लाया? इसका जवाब विपक्ष के नेता खुद देते हैं. गौरव गोगोई ने चर्चा की शुरुआत में साफ कर दिया कि वे मणिपुर पर जवाब चाहते हैं. गोगोई ने कहा, हम यह अविश्वास प्रस्ताव लाने को मजबूर हैं. यह कभी भी नंबर के बारे में नहीं था, बल्कि मणिपुर के न्याय के बारे में था.

दरअसल, विपक्ष मणिपुर के मुद्दे पर पीएम मोदी से सदन के अंदर जवाब की मांग कर रहा है. 20 जुलाई को जब मानसून सत्र शुरू हुआ, तब से ही इस मांग को लेकर सदन में हंगामा शुरू हो गया था. इसके बाद विपक्ष ने रणनीति बनाई कि अगर अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जाता है तो प्रधानमंत्री को बोलना ही होगा. नियम के मुताबिक, अविश्वास प्रस्ताव पर सदन के नेता को जवाब देना होता है. ऐसे में विपक्ष की कोशिश है कि प्रस्ताव भले ही गिर जाए लेकिन प्रधानमंत्री को सदन में बोलने के लिए मजबूर करके वह एक नैतिक जीत तो हासिल कर लेगा.

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