Maharashtra Police: महाराष्ट्र में महाराष्ट्र विशेष सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक (MSPSA), 2024 पेश किया गया. विधानसभा में बिल के पारित होने के बाद पुलिस को ऐसे लोगों के खिलाफ एक्शन लेने की शक्ति मिल जाएगी, जो नक्सलियों को लॉजिस्टिक के साथ शहरों में सुरक्षित ठिकाने मुहैया कराते हैं.
विधेयक में कहा गया है कि नक्सली संगठनों की गैरकानूनी गतिविधियों को प्रभावी कानूनी तरीकों से नियंत्रित करने की आवश्यकता है. अभी मौजूद कानून नक्सलवाद, इसके फ्रंटल संगठनों और व्यक्तिगत समर्थकों से निपटने के लिए अप्रभावी और अपर्याप्त है. विधेयक में बताया गया है कि नक्सलियों का खतरा सिर्फ राज्यों के दूरदराज इलाकों तक सीमित नहीं है. नक्सली संगठनों की मौजूदगी शहरी इलाकों में भी हो गई है.
महाराष्ट्र विशेष सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम, 2024 नियम क्या है ?
- इस कानून के तहत सरकार नक्सली गतिविधि में शामिल संगठन को गजट में अधिसूचित कर अवैध घोषित कर सकती है.
- संगठन के तौर पर किसी भी समूह को चिह्नित किया जा सकता है.
- इस विधेयक में प्रावधान है कि ‘गैरकानूनी गतिविधि’ का अर्थ होगा, कोई भी ऐसी कार्रवाई जो ‘सार्वजनिक व्यवस्था, शांति और सौहार्द के लिए खतरा या खतरा पैदा करती हो सार्वजनिक व्यवस्था के रखरखाव में हस्तक्षेप करती हो.
- जनता में भय पैदा करने वाली हिंसा, बर्बरता से जुड़े किसी काम का प्रचार करना भी गैरकानूनी गतिविधि मानी जाएगी.
- विधेयक में कहा गया है कि यदि कोई ‘गैरकानूनी संगठन’ का सदस्य होगा या किसी ऐसे संगठन की गतिविधियों में शामिल होगा तो उसे तीन साल तक की कैद की सजा दी जाएगी और 3 लाख रुपये तक का जुर्माना देना होगा.
- इस कानून के तहत घोषित गैरकानून संगठन के लिए मैनेजमेंट करना या किसी भी तरह से मदद करने पर तीन साल की कैद और 3 लाख रुपये के जुर्माने की सजा मिलेगी.
- नक्सल गतिविधियों के लिए काम करने वाले संगठनों में शामिल लोगों को सात साल तक की कैद की सजा दी जाएगी और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना भी देना होगा.
- यह विधेयक गैरकानूनी घोषित संगठनों की प्रॉपर्टी कब्जा करने का अधिकार जिला मजिस्ट्रेट या पुलिस आयुक्त को देता है.
- अगर संगठन एक बार गैरकानूनी घोषित हो गया तो डीएम या पुलिस आयुक्त उस जगह से बेदखल कर सकते हैं.
- अगर उस जगह पर महिला और बच्चे होंगे तो बेदखल करने से पहले वक्त दिया जाएगा.
- यह कानून संगठनों की चल और अचल संपत्ति जब्त करने की शक्ति भी जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस आयुक्त को देता है.
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