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Monsoon Session 2023 No Confidence Motion Against Modi Government Right this moment, Know 10 Big Things About It

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Monsoon session 2023: देश में मानसून सत्र का बुधवार (26 जुलाई) को पांचवा दिन है. सत्र की शुरुआत से ही सदन में हिंसा ग्रस्त राज्य मणिपुर पर विपक्ष प्रधानमंत्री के बयान के बाद चर्चा कराए जाने को लेकर हंगामा कर रहा है. इसी सिलसिले में समान विचारधारा के विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ आज अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है जिसे लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने मंजूर कल लिया. 

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस प्रस्ताव पर अगले हफ्ते चर्चा की जा सकती है. सांसद गौरव गोगोई ने इस प्रस्ताव को बुधवार सुबह 9.20 बजे स्पीकर के कार्यालय में जमा किया गया. यदि अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस सुबह 10 बजे दिया जाता है तो उस पर नियम के मुताबिक स्पीकर उसी दिन फैसला लेते हैं. इसी क्रम में हम आपको अविश्वास प्रस्ताव, और उसके नियम – कायदों से जुड़ी 10 बड़ी बातें इस खबर में बताएंगे. 

1. अविश्वास प्रस्ताव को नोटिस मिलने के बाद लोकसभा अध्यक्ष यह देखेंगे कि नियम के मुताबिक इस नोटिस को कम से कम 50 सांसदों का समर्थन प्राप्त है या नहीं और फिर वह इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए समय और तारीख तय करेंगे. 

2. कोई भी लोकसभा सांसद अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है बशर्ते उस सांसद के पास 50 से अधिक लोकसभा सदस्यों के हस्ताक्षर हों.

3. लोकसभा की प्रक्रिया और आचरण के नियमों का अनुच्छेद 198 अविश्वास प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया के बारे में बताता है. इस नियम के मुताबिक लोकसभा सदस्य को सुबह 10 बजे से पहले ऐसा प्रस्ताव लाने की लिखित सूचना देनी होगी उसके बाद स्पीकर दिन, समय और तारीख तय करेंगे.

4. लोकसभा स्पीकर को जब भी कोई सदस्य तय नियम के तहत नोटिस देता है तो उनको अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार करने के 10 दिनों के भीतर ही सरकार को सदन में अपना बहुमत साबित करना पड़ता है. अगर सरकार अपना बहुमत नहीं साबित कर पाती है तो प्रधानमंत्री समेत पूरी मंत्रीमंडल को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ता है.

5. मोदी सरकार के 9 सालों के शासन में ऐसा पहली बार नहीं है कि विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ यह अविश्वास प्रस्ताव लाया है. इससे पहले भी कई बार विपक्ष ऐसा कर चुका है. लेकिन यह जरूर है कि विपक्ष मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में पहली बार सरकार के खिलाफ यह अविश्वास प्रस्ताव लेकर आ रहा है. 

6. लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव 20 जुलाई 2018 को लाया गया था.

7. अगर लोकसभा की बात करें तो 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने प्रचंड जीत हासिल की थी. विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर कुल 325 सांसदों ने खिलाफ में तो 126 सांसदों ने इसके समर्थन में मतदान किया था.

8. अगर हम मौजूदा सरकार पर बात करें तो सरकार के पास संसद के दोनों ही सदनों में बहुमत है और इसलिए अविश्वास प्रस्ताव को विपक्षी गुट की पहली मजबूत प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है. विपक्ष पीएम मोदी से मणिपुर पर संसद में बोलने की मांग कर रहा है. 

9. अविश्वास प्रस्ताव ने एनडीए बनाम भारत की राजनीतिक लड़ाई को और तेज़ कर दिया. पीएम मोदी ने मंगलवार को भारत और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच समानता बताई और कहा कि देश को विभाजित करने वाले संगठनों के नाम में भी भारत था. 

10. केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर कहा कि अविश्वास प्रस्ताव आने दीजिए, सरकार हर स्थिति के लिए तैयार है. हम मणिपुर पर चर्चा चाहते हैं. सत्र शुरू होने से पहले, वे चर्चा चाहते थे. जब हम सहमत हुए तो उन्होंने नियमों का मुद्दा उठाया. जब हम नियमों पर सहमत हुए तो वे नया मुद्दा लेकर आए कि प्रधानमंत्री आएं और चर्चा शुरू करें. मुझे लगता है कि ये सभी बहाने हैं.

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