प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आरईआई एग्रो लिमिटेड (M/s. REI Agro Ltd) और अन्य से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बड़ी कामयाबी हासिल की है. ED ने करीब 1200 करोड़ रुपये की संपत्तियां पीड़ितों को लौटाई हैं. ये संपत्तियां मौजूदा बाजार कीमत के अनुसार आंकी गई हैं. ये कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग के तहत की गई. 16 अप्रैल 2025 को ये फैसला साकेत की विशेष अदालत ने सुनाया.
कंपनी के निदेशकों ने धोखे से कर्ज लिया
ये मामला साल 2015 से चल रहा है, जब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने IPC की कई धाराओं के तहत आरईआई एग्रो लिमिटेड, संदीप झुनझुनवाला, संजय झुनझुनवाला और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. आरोप था कि कंपनी और उसके निदेशकों ने बैंकों के एक समूह से धोखे से कर्ज लिया और फिर उस पैसे का गलत इस्तेमाल किया, जिससे बैंकों को भारी नुकसान हुआ.
ED ने 6 बार अस्थायी रूप से संपत्तियां जब्त कीं
जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छह बार अस्थायी रूप से संपत्तियां जब्त कीं, जिनकी कुल कीमत लगभग 1256.56 करोड़ रुपये थी. केंद्रीय जांच एजेंसी ने इस मामले में एक मेन चार्जशीट और तीन सप्लीमेंट्री चार्जशीट भी दाखिल की है.
विशेष कोर्ट ने संपत्तियां लौटाने की अनुमति दी
इसी दौरान राष्ट्रीय कंपनी कानून ट्रिब्यूनल (NCLT) में आरईआई एग्रो लिमिटेड के खिलाफ कॉरपोरेट दिवालियापन की प्रक्रिया शुरू हुई. इसके बाद कंपनी के लिक्विडेटर और मर्सेज वर्सन्ना इस्पात लिमिटेड ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) की धारा 8 (7) और 8 (8) के तहत कोर्ट में अर्जी लगाई, ताकि जब्त की गई संपत्तियां वापस मिल सकें. केंद्रीय जांच एजेंसी ने प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए और पीड़ितों को उनका हक दिलाने की नीति के तहत इस अर्जी पर कोई आपत्ति नहीं जताई. इसके बाद विशेष कोर्ट ने संपत्तियां लौटाने की अनुमति दे दी.
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