Manual Scavenging In Tamil Nadu: तमिलनाडु में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के उस दावे की एक दिन बाद ही तब पोल खुल गई जिसमें उसने दावा किया था कि अब राज्य के सभी जिले मैनुअल स्कैविंजिंग से मुक्त हो गये हैं. जब इस दावे की जांच की गई तो पता चला कि यह सच नहीं है क्योंकि उसके अगले ही दिन तमिलनाडु के कोयंबटूर में ही एक व्यक्ति सीवर में उतरकर नाले की सफाई करता हुआ मिला.
एक दिन पहले ही सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने ट्वीट किया था और कहा था कि देश के कुल 766 जिलों में से 533 जिलों ने खुद को मानव मजदूरों से सीवर की सफाई और उनसे मैला ढुलवाना या सीवर लाइन की सफाई करवाना बंद कर दिया है. अपने इस दावे में मंत्रालय ने कहा कि तमिलनाडु के सभी जिले मैला ढुलवाने की प्रक्रिया से दूर हो गए हैं.
इस तथ्य की जांच की गई तो ये पाया गया कि उसके अगले ही दिन कुल तीन मजदूर तमिलनाडु में ही सीवर में उतर कर उसकी सफाई करते हुए पाए गये. प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि किसी व्यक्ति को सभ्य समाज में मैला ढोते हुए देखना बहुत ही दुखद है.
क्या बोले वहां के स्थानीय लोग?
सोशल जस्टिस पार्टी के वकील एन. पन्नीरसेल्वम ने मैनुअल स्कैवेंजिंग की इस घटना पर दुख जताया. उन्होंने कहा कि गांधीपुरम में हाथ से मैला ढोने की प्रथा की कड़ी निंदा की और कहा कि इस प्रथा को मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार के निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम, 2013 के तहत समाप्त कर दिया गया था. श्री पन्नीरसेल्वम ने कहा निगम क्षेत्र के प्रभारी अधिकारियों को उस घटना के लिए उत्तरदायी ठहराया जाना चाहिए जिसके लिए पुलिस स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला भी दर्ज कर सकती है.
निम्न आय वर्ग के लोग जाहिर तौर पर मिलने वाले पैसे के लालच में ऐसे काम करते हैं. उन्होंने कहा कि यह तय करना अधिकारियों का कर्तव्य है कि नगर निकाय का कोई भी कर्मचारी, स्थायी या ठेका मजदूर, हाथ से मैला ढोने का काम न करें. उन्होंने आरोप लगाया कि निगम के महंगे मैनहोल सफाई करने वाले रोबोट बेकार पड़े हैं.
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