Manipur Violence: मणिपुर में हिंसा के कारण कई लोग अपना घर छोड़ राहत शिविरों में रहने के लिए मजबूर हैं. ये वो लोग हैं, जिन्होंने पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा के दौरान अपने घर खो दिए. विष्णुपुर जिले के क्वाकता गांव में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मैतई और कुकी समुदाय के बीच में बफर जोन बना रखा है. उनकी मदद के लिए कई कदम भी उठाए हैं.
दरअसल, क्वाकता गांव में रहने वाले 28 वर्षीय शब्बीर ने अपने घर को ही राहत शिविर में तब्दील कर दिया है. यहां करीब सौ लोग शरणार्थी बनकर रह रहे हैं. इनमें कई गर्भवती महिलाओं के साथ छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल हैं. मोहम्मद शब्बीर ने कहा, “मैंने अपने घर को रिलीफ कैंप बनाया है ताकि सैंकड़ों लोगों की मदद हो सके.”
‘सबके लिए खुला है शिविर का दरवाजा’
मोहम्मद शब्बीर ने कहा, “मेरे घर का दरवाजा सबके लिए खुला रहता है. यहां हिंदू, मुसलमान, कुकी, मैतई, ईसाई सब आकर रह सकते हैं. शुरुआत में कुछ दिनों तक हमने सभी का खर्च भी उठाया, लेकिन ये इतना आसान नहीं था. इसलिए सरकार से मदद की मांग की. अब सरकार से लगातार खाने का सामान मिल जाता है.”
वहीं, शब्बीर की मां शाहीन कहती हैं, “रिलीफ कैंप हमने सबको बचाने के लिए बनाया है. यहां बीमार लोग भी हैं और गर्भवती महिलाएं भी हैं. राहत शिविर में अभी केवल मैतई या फिर मुसलमान समुदाय के लोग रह रहे हैं. यह वो लोग हैं हिंसा में जिनका घर जला दिया गया था.”
राहत शिविर में रह रही महिला का छलका दर्द
राहत शिविर में रह रही एक गर्भवती महिला ने कहा, “हमने कभी नहीं सोचा था कि हम अपने ही राज्य में राहत शिविर में रहेंगे. ये सब कब खत्म होगा मुझे नहीं पता. मुझे कभी नहीं लगा था मुझे पेट में बच्चा लेकर ऐसे रहने को मजबूर होना पड़ेगा.”
ये भी पढ़ें:
क्या हिंदू मैरिज और एडॉप्शन एक्ट को खत्म करेंगे? UCC पर असदुद्दीन ओवैसी ने उठाए कई सवाल, शरिया कानून का भी जिक्र

Rajneesh Singh is a journalist at Asian News, specializing in entertainment, culture, international affairs, and financial technology. With a keen eye for the latest trends and developments, he delivers fresh, insightful perspectives to his audience. Rajneesh’s passion for storytelling and thorough reporting has established him as a trusted voice in the industry.