Manipur Violence Latest News: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने सोमवार (16 सितंबर 2024) को असम राइफल्स को एक “बर्मी नागरिक” की गिरफ्तारी के लिए बधाई दी, जो कथित तौर पर म्यांमार स्थित उग्रवादी समूह कुकी नेशनल आर्मी (बर्मा), या केएनए (बी) का सदस्य बताया जा रहा है.
हालांकि, कुकी छात्र संगठन (केएसओ-जीएचक्यू) का कहना है कि मुख्यमंत्री का दावा गलत है. जिस शख्स को वह केएनए (बी) का सदस्य बता रहे हैं वह एक रजिस्टर्ड रेफ्यूजी (शरणार्थी) है, जो म्यांमार में संघर्ष से भाग गया था.
क्या कहा सीएम ने?
सीएम एन बीरेन सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा, “मैं असम राइफल्स की गतिविधियों की वास्तव में सराहना करता हूं, जिन्होंने एक बर्मी नागरिक, केएनए (बी) को गिरफ्तार किया है. एक मुख्यमंत्री के रूप में मैं शुरू से ही लगातार कहता रहा हूं कि मणिपुर में मौजूदा संकट के पीछे विदेशी हाथ है. कुछ लोग इस पर विश्वास करते हैं और कुछ नहीं. मैं विदेशी नागरिक को पकड़ने के लिए असम राइफल्स की सराहना करता हूं.”
KSO ने की मुख्यमंत्री के बयान की आलोचना
दूसरी तरफ सीएम के इस बयान की केएसओ ने तीखी आलोचना की है. केसओ के प्रवक्ता का कहना है कि जिस युवक को मुख्यमंत्री ने केएनए (बी) का सदस्य बताया, वह वास्तव में म्यांमार का था, लेकिन आधिकारिक रिकॉर्ड में उसके अंगूठे के निशान और अन्य विवरण शरणार्थी के रूप में दर्ज हैं. असम राइफल्स को पता है कि वह व्यक्ति एक पंजीकृत शरणार्थी है. वहीं असम राइफल्स और मणिपुर पुलिस ने इस मामले पर कोई बयान नहीं दिया है.
केएसओ के प्रवक्ता ने आगे कहा, “केएसओ मुख्यालय इस बात से हैरान और स्तब्ध है कि मुख्यमंत्री जैसे व्यक्ति ने, जो कुछ हो रहा है उसके बारे में अधिक जानकारी लिए बिना ही, ऐसा मूर्खतापूर्ण निर्णय ले लिया. पकड़ा गया व्यक्ति… जो म्यांमार से है.. बेशक वह विदेशी है, लेकिन उसे शरणार्थी के रूप में पंजीकृत किया गया है, जिसे असम राइफल्स ने भी स्वीकार कर लिया है. हमारे पास सभी विवरण हैं. सोशल मीडिया पर भी सभी विवरण उपलब्ध होने के बावजूद उसे उग्रवादी या अपराधी क्यों कहा जा रहा है. यह बहुत गलत है.”
क्यों और कब शुरू हुई मणिपुर में हिंसा?
मणिपुर में हिंसा की शुरुआत 3 मई 2023 से हुई. यह हिंसा इम्फाल घाटी में रहने वाले मैतेई समुदाय और पहाड़ियों के कुकी-जो आदिवासी समुदाय के बीच शुरू हुई थी. देखते ही देखते यह जातिय हिंसा पूरे राज्य में फैल गई.
क्या हैं इस हिंसा के पीछे के कारण
- मैतेई समुदाय को राज्य में शेड्यूल ट्राइब (ST) का दर्जा देने की मांग.
- कुकी समुदाय की ओर से मैतेई समुदाय की मांग का विरोध करना.
- कुकी समुदाय का कहना है कि मैतेई के नेतृत्व वाली सरकार ने नशीली दवाओं के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ा है.
- म्यांमार से हो रहे अवैध प्रवासन.
- बढ़ती आबादी के कारण ज़मीन पर दबाव.
अब तक 200 से ज्यादा मौत, हजारों बेघर
बता दें कि करीब मणिपुर में 1 साल 4 महीने से चल रही हिंसा में अब तक 200 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग बेघर हो चुके हैं. पिछले 15 दिनों में ही करीब 8 लोगों की मौत हो चुकी है. स्थानीय मीडिया के आंकड़ों पर नजर डालें तो इस हिंसा में अब तक 221 लोग मारे जा चुके हैं, जबकि 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं. 4,786 घर जला दिए गए और 386 धार्मिक इमारतों में तोड़फ़ोड़ की गई. राज्य में हालात अब भी सामान्य नहीं हुए हैं.
ये भी पढ़ें