Mamata Banerjee On House Ministry : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार (11 अक्टूबर) को दावा किया कि राजद्रोह कानून के तहत प्रावधानों को वापस लेने के नाम पर गृह मंत्रालय प्रस्तावित भारतीय न्याय संहिता में मनमाने उपाय पेश कर रहा है.
उन्होंने दावा किया कि मंत्रालय भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CRPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (IEA) को बदलने की कोशिश में चुपचाप कठोर नागरिक विरोधी प्रावधानों को लागू करना चाहता है.
‘पेश कर रहे भारतीय न्याय संहिता में मनमाने उपाय’
ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, “पहले राजद्रोह कानून था और अब उन प्रावधानों को वापस लेने के नाम पर वे (गृह मंत्रालय) प्रस्तावित भारतीय न्याय संहिता में मनमाने उपाय पेश कर रहे हैं, जो नागरिकों को और अधिक प्रभावित कर सकते हैं.”
Have been studying the drafts ready by the Union House Ministry to substitute the Indian Penal Code, Code of Legal Process and Indian Proof Act. Shocked to seek out that there’s a severe try to quietly introduce very harsh and draconian anti-citizen provisions in these…
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) October 11, 2023
उन्होंने कहा, ”मैं भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को प्रतिस्थापित करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के तैयार किए गए मसौदों को पढ़ रही हूं और मैं यह जानकर हैरान हूं कि इसे चुपचाप लागू करने का एक गंभीर प्रयास किया जा रहा है. इसमें बेहद कठोर नागरिक-विरोधी प्रावधान हैं.”
स्टैंडिंग कमेटी में मुद्दा उठाएगी टीएमसी
पश्चिम बंगाल की सीएम ने देश के जूरिस्ट और पब्लिक एक्टिविस्ट से इन मसौदों का गंभीरता से अध्ययन करने का आग्रह किया. बनर्जी ने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा कि संसद में उनके सहयोगी स्टैंडिंग कमेटी में इन मुद्दों को उठाएंगे.
‘कानून में सुधारों की जरूरत’
तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने कहा, “अनुभवों को देखते हुए कानूनों में सुधार की जरूरत है, लेकिन औपनिवेशिक तानाशाही को दिल्ली में पिछले दरवाजे से प्रवेश की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.”
संसदीय समिति के पास रिव्यू के लिए गए मसौदे
गौरतलब है कि हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (एविडेंस एक्ट) की जगह लोकसभा में इन विषयों से संबंधित तीन नए कानूनों का मसौदा पेश किया था. इसके बाद इन मसौदों को संसदीय समिति के पास रिव्यू के लिए भेज दिया गया था.
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