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Mallikarjun Kharge Sent Letter Too Amit Shah On Manipur Violence PM Modi Opposition Alliance India Parliament Monsoon Session


Manipur Violence: मणिपुर को लेकर संसद में चल रहे गतिरोध के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के लेटर का कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बुधवार (26 जुलाई) को जवाब दिया. इसमें खरने ने निशाना साधते हुए कहा कि पीएम मोदी से हम सदन में आकर बयान देने को बोलते हैं तो उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचती है. 

खरने ने लेटर में आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हम सदन में आकर बयान देने को कहते हैं तो वो हमारे गठबंधन ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) की तुलना आतंकवादी संगठन से करते हैं. ये बिल्कुल बेतुका है. 

मल्लिकार्जुन खरने ने क्या कहा?
खरगे ने बीजेपी नेता अमित शाह को जवाब में कहा कि पत्र के माध्यम से भावनाओं को व्यक्त करना आसान है, लेकिन उससे ज़्यादा आसान है अपने आचरण से सदन में मौजूद विपक्षी दलों के सदस्यों का विश्वास जीतना. 

उन्होंने कहा, ”एक ही दिन में पीएम मोदी देश के विपक्षी दलों को अंग्रेज शासकों और आतंकवादी दल से जोड़ते हैं और उसी दिन गृह मंत्री अमित शाह भावनात्मक पत्र लिखकर विपक्ष से सकारात्मक रवैये की अपेक्षा करते हैं. सत्ता पक्ष और विपक्ष में समन्वय का अभाव वर्षों से दिख रहा था. अब यह खाई सत्तापक्ष के अंदर भी दिखने लगी है. इस पर पीएम मोदी का विपक्षी दलों को दिशाहीन बताना बेतुका ही नहीं बल्कि दुर्भाग्यपूर्ण भी है. 

पीएम मोदी का किया जिक्र
खरगे ने कहा कि पीएम मोदी से हम सदन में आकर बयान देने का आग्रह कर रहे हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि उनका ऐसा करना उनके सम्मान को ठेस पहुंचाता है. हमारी इस देश की जनता के प्रति प्रतिबद्धता है और हम इसके लिए हर क़ीमत देंगे. 

उन्होंने आगे कहा कि लंबे समय तक शासन में रहने के बाद हमें ज्ञात है कि इतिहास के पन्नों में पक्ष और विपक्ष दोनों का हर आचरण दर्ज होता है. हमारी जवाबदेही मौजूदा पीढ़ी के साथ साथ आने वाली पीढ़ियों के लिए भी है ताकि हम उन्हें बता सकें कि हमने उनके अधिकारों की लड़ाई लड़ी थी.  

खरगे ने लेटर में लिखा,  ”सत्तापक्ष यदि सचमुच सदन की कार्यवाही चलाने की इच्छा रखता है तो यह आसानी से विपक्ष को बोलने का मौका देकर किया जा सकता है. इसके लिए आसन अपने अधिकार का प्रयोग कर सकता है. इसी तरह सदन के नेता का व्यवहार पूर्व-निर्धारित प्रतिक्रिया संचालित ना होकर सामान्य एवं सकारात्मक हो सकता है. यह सदन को सुचारू रूप से चलाने में सहायक होगा.”

उन्होंने कहा, ”सत्र के दौरान रोज सरकार और विपक्ष का आचरण सदन के सामने रहता है आज भी रहेगा. गृह मंत्री अमित शाह  की कथनी और करनी में कितनी समानता रहेगी यह पूरा विपक्ष समेत देश देखेगा.” 

विपक्ष की क्या मांग है?
खरगे ने कहा, ”मुझे आपका (अमित शाह) जुलाई 25 का लिखित पत्र प्राप्त हुआ जो तथ्यों के विपरीत है.  आपको ध्यान होगा कि मणिपुर में 3 मई के बाद की स्थिति पर ‘इंडिया’ घटक दलों की लगातार मांग रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन के पटल पर पहले अपना बयान दें जिसके बाद दोनों सदनों में इस विषय पर एक विस्तृत बहस और चर्चा की जाए. 

उन्होंने कहा कि जिस तरह की गंभीर स्थिति पिछले 84 दिनों से मणिपुर में व्याप्त है और जिस तरह की घटनाएं एक एक कर सामने आ रही है. हम सभी राजनीतिक दलों से यह अपेक्षित है कि हम वहां पर तत्काल शांति बहाली के लिए तथा जनता को संदेश देने के लिए देश के सर्वोच्च सदन में कम से कम इतना तो करेंगे. हम सामूहिक रूप से यही मांग कर रहे हैं. 

खरगे ने दावा किया कि नियमों और परिपाटी को ताख पर रख कर विपक्ष को एक चाबुक से हांका जा रहा है.  छोटी घटनाओं को तिल का ताड़ बनाकर माननीय सदस्यों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया. ऐसा तब जब कि नियम इस विषय में यह है कि किसी सदस्य का निलंबन उसी घटना के लिए एक सत्र से अधिक जारी नहीं रह सकता. 

उन्होंने कहा कि रोज़ 267 नियम के तहत विपक्षी सांसदों बहस करने का नोटिस देते हैं लेकिन सत्तापक्ष में बैठे लोग ही सदन की कार्रवाई को अवरुद्ध करते हैं. विपक्ष के नेता जब चेयरमैन की अनुमति के बाद बोलने के लिए खड़े होते हैं तो स्वयं सदन के नेता बिना निवेदन और चेयर की अनुमति के बाधा डालते हैं, आसन तथा सदन की परंपरा की अवमानना करते हैं. ऐसा पूरे सदन के समक्ष और लगातार हो रहा है. 

अमित शाह ने क्या लिखा?
अमित शाह ने मंगलवार को विपक्ष के नेताओं, मल्लिकार्जुन खरगे और अधीर रंजन चौधरी को पत्र लिखकर उनसे संसद में मणिपुर मुद्दे पर चर्चा में अमूल्य सहयोग देने का अनुरोध किया.

राज्यसभा में विपक्ष के नेता खरगे और लोकसभा में कांग्रेस नेता चौधरी को लिखे एक जैसे पत्रों में शाह ने कहा कि सरकार मणिपुर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है और उन्होंने सभी से पार्टी की विचारधारा से ऊपर उठकर सहयोग करने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि सभी दल इस महत्वपूर्ण मुद्दे को हल करने में सहयोग करेंगे. 

बता दें कि संसद में 20 जुलाई को मानसून सत्र शुरू होने के बाद से ही दोनों सदनों में कार्यवाही बाधित है. विपक्ष चर्चा से पहले मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक बयान देने की मांग कर रहा है. 

ये भी पढ़ें- अमित शाह ने मल्लिकार्जुन खरगे को लिखी चिट्ठी, संसद में बोले- ‘मणिपुर पर चर्चा के लिए तैयार हूं, जनता के खौफ को ध्यान में रखें’



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