नए संसद भवन में लोकसभा की कार्यवाही के पहले दिन ही केंद्र सरकार की तरफ से महिलाओं के लिए एक तिहाई सीट आरक्षित करने के लिए बिल पेश किया गया. इस बिल को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने पेश किया और इसे ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ नाम दिया गया है.
नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल में लोकसभा और विधानसभा में कुल सीटों का 33 प्रतिशत सीट महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है. जिसका मतलब है कि अगर ये बिल पास हो जाता है तो लोकसभा और विधानसभा में हर तीसरी सदस्य महिला ही होगी.
ऐसे में इस स्टोरी में जानते हैं कि इस बिल की बड़ी बातें क्या हैं और अगर ये पारित हो जाता है तो संसद और विधानसभाओं का गणित कितना बदल जाएगा…
नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल की बड़ी बातें
नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल के प्रावधानों के अनुसार 543 सीट वाले लोकसभा में से 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होगी. इस समय सिर्फ 82 महिलाएं ही सांसद हैं. इस बिल को लाने का एकमात्र कारण लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना है.
बिल को पेश करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान 15 सालों के लिए लागू रहेगा. उसके बाद इस अवधि को बढ़ाया जाए या नहीं ये फैसला संसद का होगा.
इस विधेयक के तहत एससी-एसटी वर्ग की महिलाओं के लिए किसी भी तरह का अलग से आरक्षण की व्यवस्था की गई है. लेकिन पहले से ही जिन सीटों को एससी-एसटी वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है उनमें से भी 33 प्रतिशत अब महिलाओं के लिए आरक्षित होगी. आसान भाषा में समझें तो वर्तमान में लोकसभा में 84 सीटें एससी और 47 सीटें एसटी के लिए आरक्षित है. लेकिन अगर ये बिल कानून की शक्ल लेता है तो 84 एससी सीटों में से 28 सीटें एससी महिलाओं के लिए रिजर्व हो जाएगा. ठीक इसी तरह 47 एसटी सीटों में से 16 एसटी सीटें महिलाओं के आरक्षित होंगी.
जो सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित नहीं है उन पर भी लड़ सकेंगी महिला
महिला आरक्षण बिल के अनुसार जो सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं उसपर तो महिलाएं उतरेगी ही, लेकिन जो सीटें उनके लिए आरक्षित नहीं है उसपर भी वह चुनाव लड़ सकती हैं.
वहीं इस बिल में ओबीसी महिलाओं के लिए अलग से किसी तरह के आरक्षण की व्यवस्था नहीं है. वह उन्ही सीटों पर चुनाव लड़ सकती हैं जो या तो अनारक्षित हैं या महिलाओं के लिए आरक्षित हैं.
राज्यसभा में नहीं मिलेगा आरक्षण
अगर ये नारी शक्ति वंदन अधिनियम कानून बनता है तो ये सिर्फ लोकसभा और विधानसभाओं पर ही लागू होगा. राज्यसभा या वो राज्य जहाँ विधान परिषद की व्यवस्था है, वहां यह बिल लागू नहीं होगा.
बदल राज्य विधानसभाओं का गणित
वर्तमान में लोकसभा में 82 महिला सदस्य हैं. अगर महिला आरक्षण बिल कानून बनता है तो लोकसभा में महिलाओं के लिए 181 सीटें महिलाएं के लिए रिजर्व हो जाएंगी. इस बिल में संविधान के अनुच्छेद- 239AA के अनुसार महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के बाद दिल्ली की विधानसभा में 23 सीटें महिलाओं के लिए होगी.
उत्तर प्रदेश: वहीं उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 403 सीटें हैं. ऐसे में अगर महिला आरक्षण विधेयक पास होकर कानून बन जाता है तो यहां की 33 फीसद सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी और 403 विधानसभा सीटों में से 132 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होगी.
बिहार: 243 विधानसभी सीट वाले राज्य बिहार में इस बिल के पास होने के बाद 81 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी.
हरियाणा: हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटें हैं और अगर नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल पास होता है तो इस 90 विधानसभा सीटों वाले हरियाणा में 30 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएगी.
झारखंड: इस राज्य में विधानसभी की 82 सीटें हैं, जिनमें से 27 सीटें नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल-2023 के तहत महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएगी.
आंध्र प्रदेश: आंध्र प्रदेश में विधानसभा की 175 सीटें हैं और नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल-2023 के पास होने के बाद 58 महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएगी.
ठीक इसी तरह अरुणाचल प्रदेश की 60 में से 20 सीटें, असम की 126 में से 42 सीटें, छत्तीसगढ़ की 90 में से 30 सीटें, जम्मू कश्मीर विधानसभा की 90 में से 30 सीटें महिलाएं के लिए आरक्षित हो जाएगी.
नीचे दिए टेबल में समझिए किस बिल लागू होता तो किस राज्य में कितनी विधानसभा सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएगी…
राज्य | विधानसभा सीट | महिलाओं के लिए आरक्षित सीट |
आंध्र प्रदेश | 175 | 58 |
मध्य प्रदेश | 230 | 77 |
मणिपुर | 60 | 20 |
ओडिशा | 147 | 49 |
दिल्ली | 70 | 23 |
नगालैंड | 60 | 20 |
मिजोरम | 40 | 13 |
पुडुचेरी | 30 | 10 |
पंजाब | 117 | 39 |
राजस्थान | 200 | 67 |
सिक्किम | 32 | 11 |
तमिलनाडु | 234 | 78 |
तेलंगाना | 119 | 40 |
त्रिपुरा | 60 | 20 |
पश्चिम बंगाल | 294 | 98 |
महाराष्ट्र | 288 | 96 |
केरल | 140 | 47 |
मेघालय | 60 | 20 |
अरुणाचल प्रदेश | 60 | 20 |
असम | 126 | 42 |
बिहार | 243 | 81 |
छत्तीसगढ़ | 90 | 30 |
गोवा | 40 | 13 |
गुजरात | 182 | 61 |
हरियाणा | 90 | 30 |
कर्नाटक | 224 | 75 |
झारखंड | 82 | 27 |
विधानसभाओं में कितनी हैं महिलाएं?
संसद और देश के ज्यादातर विधानसभाओं में महिला सदस्यों की संख्या 15 प्रतिशत से भी कम है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत के 19 राज्यों यानी 19 विधानसभाओं में महिला सदस्यों की भागीदारी 10 प्रतिशत से भी कम है. सरकारी आंकड़ों की मानें तो कई ऐसे विधानसभाएं हैं जहां महिलाओं की भागीदारी 10 प्रतिशत से ज्यादा है.
इन विधानसभाओं में 10 प्रतिशत से ज्यादा है महिलाओं की भागीदारी
- बिहार – 10.70 फीसदी
- छत्तीसगढ़ – 14.44 फीसदी
- हरियाणा- 10 फीसदी
- झारखंड – 12.35 फीसदी
- पंजाब -11.11 फीसदी
- राजस्थान – 12 फीसदी
- उत्तराखंड-11.43 फीसदी
- उत्तर प्रदेश -11.66 फीसदी
- पश्चिम बंगाल-13.70 फीसदी
- दिल्ली-11.43 फीसदी
इन राज्यों में महिलाओं की भागीदारी 10 फीसदी से कम
- गुजरात- 8.2 फीसदी
- हिमाचल प्रदेश- 1 महिला विधायक
लोकसभा की बात करें तो वर्तमान में 543 सदस्यों वाले लोकसभा में महिलाओं की संख्या सिर्फ 78 है, जो की कुल संख्या का प्रतिशत 15 प्रतिशत भी नहीं है. जबकि राज्यसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व लगभग 14 फीसदी है.