Maharashtra Politics: मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और कई विधायकों की अयोग्यता पर फैसले में स्पीकर राहुल नार्वेकर की ओर से हो रही देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई तो बयानबाजी शुरू हो गई है. मामले को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के चीफ शरद पवार, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और कांग्रेस ने निशाना साधते हुए कहा कि नार्वेकर जानबूझकर देरी कर रहे हैं. ऐसे में उन्हें समयसीमा तय करनी चाहिए.
पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार ने कहा कि याचिकाओं पर निर्णय लेने में विधानसभा अध्यक्ष की ओर से देरी की गई जिसकी वजह से एनसीपी को सुप्रीम कोर्ट का रुख करना पड़ा. उन्होंने कहा ”निर्देश दिया जाना चाहिए कि निर्णय एक तय समय-सीमा के भीतर लिया जाए. इसमें विलंब नहीं किया जा सकता है. यही रुख शिवसेना का भी है.”
दरअसल विधायकों की अयोग्यता पर फैसले में स्पीकर की तरफ से हो रही देर पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (13 अक्टूबर) को कहा कि इसे अगले चुनाव तक नहीं लटकाया जा सकता. हम 2 महीने में निपटारे का आदेश देंगे. आप हमारे आदेशों को विफल नहीं कर सकते हैं. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई मंगलवार तक के लिए टाल दी.
संजय राउत ने क्या दावा किया?
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, राज्यसभा सांसद संजय राउत ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर दावा करते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार वाली सरकार 72 घंटे में गिर जाएगी. मैंने पहले भी ये बात बोली है, लेकिन अब समय आ गया है.
उन्होंने आगे कहा, ”स्पीकर (राहुल नार्वेकर) ने सरकार को आईसीयू में डालकर बचाने की कोशिश की, लेकिन अब समय आ गया है कि विधानसभा अध्यक्ष खुद आईसीयू में चले जाएं.”
आदित्य ठाकरे ने क्या कहा?
महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के बेटे और पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा,” हमें उम्मीद है कि स्पीकर अब स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से काम करेंगे. उन्हें तय समय में काम करना होगा.”
कांग्रेस क्या बोली?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, ”सुप्रीम कोर्ट ने अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के खिलाफ फिर से सख्त आदेश दिया है, जिससे पता चलता है कि वह जानबूझकर डेढ़ साल पहले हुए शिवसेना विभाजन पर फैसले में देरी कर रहे हैं.”
किसके कितने विधायक?
महाराष्ट्र के कुल 288 विधायकों में से बीजेपी के 105, एकनाथ शिंदे की शिवसेना के 41,अजित पवार की एनसीपी के 40 और अन्य के 18 एमएलए हैं ऐसे में सरकार के कुल 204 विधायक हुए. वहीं मौजदूा समय में कांग्रेस के 45, उद्धव ठाकरे की शिवसेना के 16, शरद पवार की एनसीपी के 12 और अन्य के 11 विधायक हैं. ऐसे में विपक्ष के कुल एमएलए 84 हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या टिप्पणी की?
चीफ जस्टिस (सीजेआई) डीवाई. चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा, ‘‘किसी को विधानसभा अध्यक्ष को यह सलाह देनी होगी कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी नहीं कर सकते.” सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इस मुद्दे पर निर्णय लेने की समयसीमा के बारे में कोर्ट को अवगत कराने को कहा.
कोर्ट ने 18 सितंबर को महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश दिया था कि शिंदे और अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसले के लिए समयसीमा बतायें.
मामला क्या है?
पीटीआई के मुताबिक, सुनील प्रभु ने पिछले साल शिंदे और 15 बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की थी. इस साल जुलाई में अजीत पवार और आठ अन्य एनसीपी विधायक महाराष्ट्र में शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना-बीजेपी सरकार में शामिल हो गए थे. वो (अजित पवार) डिप्टी सीएम बन गए.
इसके बाद शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने अजीत पवार और उनका समर्थन करने वाले विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग को लेकर स्पीकर नार्वेकर के समक्ष याचिका दायर की . बाद में अजीत पवार गुट ने भी शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की.
इनपुट भाषा से भी.
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