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Maharashtra Reservation Obc Quota Maharashtra Eknath Shind Why Are OBC Leaders Against Maratha Community Abpp


महाराष्ट्र में मराठा-ओबीसी आरक्षण का मामला एकनाथ शिंदे सरकार की गले की हड्डी बन चुका है. राज्य में पिछले कई दिनों से मराठा समुदाय आरक्षण को लेकर जगह-जगह प्रदर्शन और आंदोलन कर रहे थे. दरअसल आज से 15 दिन पहले मराठा आंदोलनकारी मनोज जरांगे मराठाओं को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र देकर ओबीसी कोटे से आरक्षण देने की मांग को लेकर अनशन पर बैठे थे. पिछले 15 दिनों से चल रहा ये अनशन अब आंदोलन का रूप ले चुका था और  आरक्षण का ये मांग राज्य के अन्य हिस्सों में भी पहुंच चुकी थी.

इस बीच इस मामले को लेकर सोमवार सर्वदलीय बैठक हुई, इस बैठक में मराठा समुदाय के आरक्षण के को लेकर कानूनी से लेकर हर पहलू पर चर्चा की गई और मराठा समुदाय को आरक्षण देने पर सर्वदलीय सहमति बन गई है.

बैठक में महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि इस आरक्षण को अन्य समाज के आरक्षण में छेड़छाड़ किए बिना  लागू किया जाएगा.

ओबीसी नेता आक्रामक 

एक तरफ जहां अनशन की शुरुआत से लेकर अब तक यानी पिछले 15 दिनों से मराठा समुदाय के आरक्षण की मांग लगातार बढ़ता ही जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ इस समुदाय को ओबीसी से आरक्षण देने की मांग पर ओबीसी के नेता आक्रामक हो गए हैं. उन्होंने मराठा समुदाय को ओबीसी से आरक्षण दिए जाने का कड़ा विरोध किया है.

राजनीतिक हलकों में चर्चा तो ये भी है कि मराठा आरक्षण पर राजनीतिक दबाव बढ़ने के बाद सीएम एकनाथ शिंदे ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है. वहीं मराठा संगठनों ने कल यानी 11 सितंबर को ठाणे के कुछ इलाकों को भी बंद रखा है. ऐसे में इस खबर में जानते हैं कि आखिर ये मराठा समुदाय के आरक्षण का पूरा मामला क्या है और इसके विरोध में ओबीसी नेता क्यों उतर आए हैं?

क्या है पूरा मामला 

दरअसल महाराष्ट्र में काफी सालों से मराठा आरक्षण को लेकर आंदोलन चल रहा है. लेकिन हाल ही में एक बार यह मुद्दा तब गर्म हो गया जब दो हफ्ते पहले मराठा समुदाय के आरक्षण की मांग को लेकर एक्टिविस्ट मनोज जरांगे भूख हड़ताल पर बैठ गए.

आरक्षण को लेकर मराठा आंदोलन की आग इसी महीने की शुरुआत में जालना जिले के अंतरवली सारथी गांव में भड़की थी. उस वक्त ये प्रदर्शन काफी हिंसक हो गया था और कई पुलिसकर्मी घायल भी हो गए थे. 

वहीं दूसरी तरफ मराठाओं को ओबीसी कोटे से आरक्षण देने की मांग को देखते हुए नागपुर में ओबीसी समुदाय के लोग भी मराठाओं को आरक्षण देने के विरोध में सड़क पर उतर आए है. 

पहले जानते हैं कि कौन हैं मराठा?

मराठा महाराष्ट्र में सबसे प्रभावशाली समुदायों में से आते हैं. राज्य में इस समुदाय का प्रभाव इस से भी समझा जा सकता है कि साल 1960 में महाराष्ट्र के गठन के बाद से अब तक यानी साल 2023 तक 20 में से 12 मुख्यमंत्री मराठा समुदाय से ही रहे हैं. राज्य के वर्तमान मंत्री मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी मराठा ही हैं.

महाराष्ट्र में महाराष्ट्र में मराठाओं की आबादी लगभग 33 प्रतिशत के आसपास है. ज्यादातर मराठा के लोग मराठी भाषा में बोलते हैं. 

32 सालों से आरक्षण की मांग कर रहे हैं मराठा समुदाय 

मराठा समुदाय में आरक्षण की जंग कोई नई नहीं है. यह महाराष्ट्र में काफी लंबे वक्त से सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की मांग कर रहे हैं. मराठा आरक्षण को लेकर लगभग 32 साल पहले बार आंदोलन हुआ था. 32 साल पहले ये आंदोलन मठाड़ी लेबर यूनियन के नेता अन्नासाहेब पाटिल की अगुवाई में शुरू की गई थी. जिसके बाद से मराठा आरक्षण का मुद्दा यहां की राजनीति का हिस्सा बन गया.

दरअसल महाराष्ट्र में साल 2014 के चुनाव से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने मराठाओं को 16% आरक्षण देने का वादा किया था. वह सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में मराठाओं को आरक्षण दिलवाने के लिए अध्यादेश भी लेकर आए थे. लेकिन कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की सरकार चुनाव जीत नहीं पाई और बीजेपी-शिवसेना ने जीत हासिल कर देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने.

 

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