Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की सियासत इतनी गर्म हो चुकी है कि अब पार्टी के कार्यकर्ता एक दूसरे से भिड़ रहे हैं. कोई उद्धव ठाकरे की गाड़ी पर नारियल से हमला कर रहा है तो कोई राज ठाकरे की गाड़ी पर सुपारी फेंक रहा. महाराष्ट्र की सियासत में अब ठाकरे बनाम ठाकरे की लड़ाई फिर एक बार शुरू हो चुकी है. अब सवाल ये है कि इसका फायदा किसको होगा?
विधानसभा चुनाव से पहले दोनों ठाकरे एक दूसरे पर वार कर रहे हैं. ठाकरे ब्रदर्स की आपस की लड़ाई कोई नई नहीं है. जब राज ठाकरे शिवसेना पार्टी छोडकर गए थे तो 2006 में उन्होंने खुद की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) पार्टी बनाई. उस वक्त से लेकर आज तक यानी 18 साल से यह दोनों भाइयों की लड़ाई का तमाशा पूरा देश देख रहा है.
ठाकरे ब्रदर्स की लड़ाई का फायदा किसे होगा?
मराठी मानुस से लेकर हिंदुत्व के मुद्दे को लेकर राज और उद्धव की पार्टी का अजेंडा रहा. हालंकि उद्धव ठाकरे हिंदुत्व के मुद्दे से भटक चुके हैं. मतलब साफ है कि दोनों पार्टियों के वोटर दो फाड़ होने वाले हैं. आने वाले विधानसभा चुनाव में इन दोनों के वोटरों में बंटवार होना तय है. इसका फायदा किसको होगा? दो भाइयों को होगा या फिर महाविकास आघाडी और एनडीए को? ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
शिवसेना और एमएनएस में कौन कितना मजबूत?
2009 के चुनाव में राज ठाकरे पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़े. उस समय ठाकरे के 13 विधायक जीते थे, जबकि इसी चुनाव में उदधव ठाकरे के 44 विधायक जीते थे. 2014 और 2019 में राज ठाकरे की पार्टी एक-एक विधायक चुना गया. उस तुलना में उद्धव ठाकरे के 2014 में 63 और 2019 में 56 विधायक जीतकर आए थे. 2019 से 2019 तक उद्धव ठाकरे बीजेपी के साथ गठबंधन मे थे और राज ठाकरे शुरुआत से अकेले के दम पर लड़ते आए हैं.
महाराष्ट्र की राजनीति अब काफी बदल गई है. उद्धव ठाकरे अब शरद पवार और कांग्रेस के साथ हैं तो उनके 40 विधायक बगवात करके बीजेपी और अजित पवार की पार्टी के साथ हैं. वहीं, राज ठाकरे महाराष्ट्र की यात्रा पर चल रहे, अपनी पार्टी को जमीन पर जिंदा रखने का काम कर रहे हैं. उन्होंने लोकसभा चुनाव में एनडीए को समर्थन दिया था. अब राज ठाकरे ने विधानसभा चुनाव अपने बल पर लड़ने का फैसला किया है.
महाराष्ट्र में होने वाला है ‘खिचड़ी’ विधानसभा चुनाव?
इसलिए अगर राज और उद्धव का झगडा होता है तो इसका फायदा हिंदुत्व और मराठी मानुस के लिए काम करने वाली नई शिवसेना को ज्यादा हो सकता है, जो शिवसेना उद्धव ठाकरे से बगावत करके बीजेपी के साथ गई है. ऐसा पहिला बार होगा जहां राज ठाकरे, उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के उम्मीदवार एक दूसरे के खिलाफ होंगे. इन तीनों के झगड़े में अन्य पार्टियां इसका लाभ उठा सकती हैं. इसलिए इस खिचड़ी विधानसभा चुनाव में क्या होता है वो इसके नतीजों के बाद पता चल जाएगा.
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