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Madhya Pradesh Rajasthan And Chhattisgarh Assembly Election 2023 Caste Factor In Assembly Election


5 State Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान हो चुका है. अब सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत चुनाव प्रचार में झोंक दी है. सभी ज्यादा से ज्यादा वोटरों को अपने पक्ष में करने में लग गए हैं. राजनीतिक दल जिस कार्ड को चलकर वोटरों को सबसे आसानी से अपनी ओर खींचते हैं, वो है जाति कार्ड. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सियासत भी इससे अछूती नहीं है. इस बार यहां भी जाति फैक्टर काफी हावी होता दिख रहा है.

सभी दल इस मास्टरस्ट्रोक के जरिये अपना वोट बैंक बनाने और बढ़ाने में लगे हैं. कांग्रेस ने जहां सत्ता में आने के बाद ओबीसी सर्वे कराने का दावा कर दिया है, तो दूसरे दल भी अलग-अलग जाति को टारगेट करते हुए तरह-तरह के दावे कर रहे हैं. जाति फैक्टर उम्मीदवारों के चयन में भी नजर आ रहा है. जिस सीट पर जिस जाति की संख्या सबसे अधिक है, उसी जाति के उम्मीदवार को अधिकतर जगह टिकट मिला है. आइए जानते हैं क्या है जातिगत समीकरण इन तीनों राज्यों में.

1. मध्य प्रदेश में भी जाति फैक्टर की एंट्री

मध्य प्रदेश की बात करें तो पहले यहां जाति फैक्टर बुंदेलखंड और बघेलखंड यानी की विंध्याचल के इलाकों में दिखता था, लेकिन व्यापक तौर पर यह उतना नजर नहीं आता था, लेकिन इस बार यह पूरे प्रदेश में नजर आ रहा है. यही वजह है कि कभी हिंदू धर्म की राजनीति करने वाली बीजेपी इस बार जाति की ओर जा रही है.

बीजेपी का रुख

इसी साल अंबेडकर जयंती के दो दिन बाद आयोजित अंबेडकर कुंभ नाम के कार्यक्रम में राज्य सरकार ने दलित और अन्य पिछड़ी जातियों के सामाजिक बोर्ड और आयोग के गठन की घोषणा की थी.

कांग्रेस का कार्ड

हाल ही में चुनाव प्रचार के दौरान मध्य प्रदेश में कांग्रेस के राहुल गांधी ने ओबीसी को उनका हक दिलाने की बात कही थी. राहुल गांधी ने ओबीसी को उनका हक न मिलने की भी बात कही थी. उन्होंने कहा था कि अगर कांग्रेस सरकार में आती है तो ओबीसी का सर्वे कराया जाएगा.

सर्वे भी बता रहा सच

लोकनीति के सर्वे के मुताबिक देश में आज भी 55% मतदाता कैंडिडेट्स की जाति देखकर मतदान करते हैं. मध्य प्रदेश में यह प्रतिशत 65 प्रतिशत है. यही वजह है कि राजनीतिक दल भी जाति देखकर उम्मीदवार उतारते हैं. मध्य प्रदेश में अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग की आबादी 23 प्रतिशत है. मालवा-निमाड़ और महाकौशल रीजन में 37 सीटों पर यह निर्णायक भूमिका निभाते हैं. विंध्य की बात करें तो यहां 14 पर्सेंट ब्राह्मण वोटर्स हैं. सबसे ज्यादा 29 प्रतिशत सवर्ण मतदाता इसी इलाके में आते हैं. बात मुस्लिम वोटर की करें तो मध्य प्रदेश के 4.94 करोड़ वोटर्स में 10.12 प्रतिशत (50 लाख) मुस्लिम वोटर हैं, जो पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा-निमाड़ और भोपाल रीज की 40 सीटों के नतीजों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं.

2. छत्तीसगढ़ की राजनीति भी अछूती नहीं

छत्तीसगढ़ की राजनीति शुरू से ही जाति पर आधारित रही है. जिस पार्टी ने इस कार्ड को सही चला, वो जीतने में कामयाब रही है. छत्तीसगढ़ में लगभग 32 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति की है, करीब 13 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति वर्ग की और करीब 47 प्रतिशत जनसंख्या अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की है. अन्य पिछड़ा वर्ग में करीब 95 से अधिक जातियां शामिल हैं. छत्तीसगढ़ विधानसभा की 51 सामान्य सीटों में से करीब एक दर्जन विधानसभा सीटों पर अनुसूचित जाति वर्ग का दबदबा है. मैदानी इलाकों की ज्यादातर सीटों पर अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की भी भारी संख्या है.

प्रदेश में करीब 47% ओबीसी वर्ग के लोग हैं. इस वर्ग में 95 से अधिक जातियां हैं. इनमें सबसे ज्यादा संख्या 12 प्रतिशत साहू जाति की है, जिन्हें क्षेत्रवार बीजेपी और कांग्रेस का वोट बैंक माना जाता है. दोनों ही प्रमुख राजनीतिक पार्टियां, इस वर्ग को राजनीति में भरपूर स्थान देती हैं. अन्य पिछड़ा वर्ग में 9% यादव जाति की और 5% कुर्मी, निषाद और मरार जाति की संख्या है. प्रदेश की सभी राजनीतिक पार्टियां, जातिगत समीकरण को देखते हुए इन जातियों को भी अपनी पार्टी के संगठन या सत्ता में स्थान देती हैं. पिछले चुनाव में छत्तीसगढ़ में साहू और आदिवासी समाज के लोगों ने कांग्रेस का साथ देकर नतीजे बदले.

3. राजस्थान में कैसा है जातिगत समीकरण

राजस्थान में विधानसभा चुनाव 23 नवंबर को है. यहां सत्ता में बैठी कांग्रेस जहां फिर से जीत दोहराना चाहती है तो बीजेपी जाति फैक्टर के सहारे सत्ता में वापस आना चाहती है. दोनों ही दल जाति फैक्टर को लेकर चल रही है.

राजस्थान में जाट, राजपूत, गुर्जर, मीणा समाज की संख्या अच्छी खासी है और ये नतीजों को प्रभावित करते हैं. 9 प्रतिशत आबादी के साथ जाट सूबे में सबसे अहम माने जाते हैं. शेखावाटी और मारवाड़ के 31 निर्वाचन क्षेत्रों में इनका दबदबा है. 200 सीटों वाले राजस्थान विधानसभा में 37 सीटों पर जाटों का दबदबा है, जबकि 17 सीटों पर राजपूतों की संख्या अधिक है. पिछली बार सबसे ज्यादा विधायक जाट से ही निकलकर आए. अगर जनसंख्या के लिहाज से देखें तो राजस्थान में एससी वोटर 18 प्रतिशत, एसटी वोटर 14 प्रतिशत (मीणा 7%), मुस्लिम वोटर 9 फीसदी, ओबीसी 40 प्रतिशत, गुर्जर –5 फीसदी, जाट वोटर 10 पर्सेंट, माली  4 प्रतिशत, सवर्ण वोटर 19 प्रतिशत (ब्राह्मण 7%, राजपूत 6%, वैश्य 4%, अन्य 2%) हैं.

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